दूसरे दिन भी खामोश रहे नौकाओं के चप्पू

माउंट आबू. राज्य की सर्वाधिक पुरानी व धनी नगरपालिकाओं में शुमार पर्वतीय पर्यटन स्थल माउंट आबू पालिका के आय के प्रमुख स्रोतों में से एक नक्की नौकायन ठेके की अवधि पूरी होने से शुक्रवार को दूसरे दिन भी झील में नौकाओं के चप्पू नहीं चले। इससे पालिका को राजस्व हानि तो हो रही है वहीं पर्यटक भी मायूस लौटने को मजबूर हैं। हालांकि पालिका व ठेकेदार के मध्य हुई बैठक से प्रतीत होता है कि नौका संचालन के प्रयासों में सकारात्मक पहल हो रही है।

सूत्रों की माने तो राजस्व क्षतिपूर्ति, पर्यटन पर पड़ऩे वाले दुष्प्रभाव से बचने से लेकर नौका संचालन न होने से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होने वाले इस व्यवसाय से जुड़े लोगों की आजीविका को ध्यान में रखते हुए नगरपालिका व ठेकेदार के मध्य हुई वार्तालाप के अंतर्गत परस्पर शेयरिंग के आधार पर पूर्व की भांति नक्की नौकायन संचालन होगा। 70-30 प्रतिशत अनुपात के तहत ठेकेदार की ओर से वोटहाउस से प्राप्त राशि का नगरपालिका को 30 फीसदी राजस्व उपलब्ध कराएगा। शेष 70 फीसदी राशि ठेकेदार की होगी। जिसमें वोटहाउस संचालन के लिए कार्यरत कर्मचारियों का वेतन भुगतान, नावों के रखरखाव आदि का उत्तरदायित्व ठेकेदार का रहेगा।

आजीविका पर संकट मंडराने लगा

नौकायन संचालन बंद होने से नौकाविहार कार्यों में लगे कर्मचारी, पर्यटकों की भीड़ से नक्की पर फोटोग्राफी, खाद्य व पेय पदार्थ बेचने वाले, लघु व्यवसाईयों, नक्की मार्केट से लेकर पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोग प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष प्रभावित हो रहे हैं। ज्ञातव्य है कि इससे पूर्व फरवरी 2018 को नक्की नौकायान ठेके की प्रक्रिया मूर्तरूप नहीं लेने से सर्वाधिक 21 दिन तक झील में चप्पू नहीं चले थे।

यह है नौका संचालन का इतिहास

जानकारों के अनुसार सन 1964 में पहली बार नक्की नौकायान वोट हाउस ठेका पद्वति पर दिया। 1978 में दूसरी बार ठेका प्रक्रिया हुई। जो 1986 तक चलती रही। करीब 18 दिन नौकायन बंद रहने के बाद 17 फरवरी 87 को नौका संचालन के लिए आम नीलामी हुई। फिर जनवरी 1990, 1992, 1995, 1999 तक नौकायन प्रक्रिया जारी रही। करीब 15 दिन बंद रहने के बाद फिर से सन 2000 नौका संचालन आरंभ हुआ। 2009 में अकाल के दौरान कुछ समय तक नगरपालिका व ठेकेदार ने परस्पर सहमति से संचालन किया। सन 2010 के बाद विभिन्न चरणों में नीलामी प्रक्रिया के तहत 2017 तक निरंतर नौकायान ठेका चलता रहा। ठेका अवधि समाप्त होने के बाद पालिका को नीलामी ठेके में समुचित राशि न मिलने से प्रक्रिया अवरूद्ध रही। जिससे 21 दिन तक नौका संचालन ठप्प रहा। फरवरी 2018 में वोट हाउस का ठेका होने पर झील में नौकाओं के चप्पू चले। जो ठेका 17 मार्च 2020 तक रहना था। लेकिन संबंधित ठेकेदार की ओर से ठेका बीच में ही छोड़ने से 19 फरवरी 2019 को फिर से नये सिरे से ठेका हुआ।

इन्होंने कहा

ठेका अवधि समाप्त होने पर 14 सितम्बर रात बारह बजे वोटहाउस बंद कर दिया था। जिसके चलते गुरुवार से अभी तक नौका संचालन बंद है। नौका संचालन के लिए कोई सक्षम आदेश प्राप्त नहीं हुआ।

बलवीर सिंह राजपूत, प्रबंधक नौका संचालन, माउंट आबू।

हम लोग मित्रों व परिजनों के साथ नौका विहार के लिए आए थे। यहां आकर मालूम हुआ कि नौकायन बंद है। पता करने पर बताया कि शुक्रवार को नौकायन खुलेगा। बच्चों की जिद्द पर हम लोग यही रूके। लेकिन, आज भी वोटहाउस के चक्कर काटने के बावजूद शाम तक नौकाविहार नहीं होने से बच्चों में मायूसी है।

दिलशाद मुहम्मद पठान, अहमदाबाद

हम करीब दर्जन भर मित्र माउंट आबू पर्यटन के लिए आए थे। दो दिन से वोटिंग का लुफ्त उठाने झील पर आ रहे हैं लेकिन वोटिंग नहीं करने से मांउट आबू पर्यटन का मजा ही किरकिरा हो गया। बिना किसी सूचना के अचानक वोटहाउस बंद करना अच्छा संदेश नहीं है।

विजय शर्मा, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश



Source: Sirohi News