आबू की सौंफ से खुल सकते हैं रोजगार के द्वार, देशभर में फैलेगी खुशबू

अमरसिंह राव

सिरोही. आबूरोड की सौंफ की गुणवत्ता और खुशबू ऐसी है कि प्रदेश ही नहीं बल्कि गुजरात व महाराष्ट्र समेत देशभर में महक फैला रही है। यह नगदी फसल आबूरोड के किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। किसानों में सौंफ की खेती के प्रति इतना क्रेज है कि आबूरोड व रेवदर ब्लॉक में लगभग 4000से 4500 हेक्टेयर क्षेत्र में खेती की जा रही है और अब खेती का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। ये काश्तकार सौंफ की उन्नत खेती कर आर्थिक रूप से न सिर्फ आत्मनिर्भर बन रहे हैंं बल्कि घरों में वे सारे आधुनिक उपकरण भी बना रहे हैं। परम्परागत फसलों के साथ यहां के किसान सौंफ की खेती से अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं। बावजूद इसके किसानों का सबसे बड़ा दर्द यह है कि हमारी फसल का हमें पूरा दाम नहीं मिल रहा। बेचने के लिए पड़ोसी राज्य गुजरात के ऊंझा मंडी पर निर्भर रहना पड़ता है। यदि यहां के गांवों में छोटी.छोटी यूनिट लगे तो न सिर्फ आमदनी में इजाफा होगा बल्कि जिले के सैकड़ों बाशिंदों को रोजगार तक मिल सकता है।
कृषि वैज्ञानिक आबू की सौंफ की अच्छी गुणवत्ता के पीछे की सबसे बड़ी वजह यहां की जलवायु का अनुकूल होना मानते हैं। गुजरात के बनासकांठा और साबरकांठाए डीसा में भी सौंफ की खेती होती है लेकिन कहते हैं सौंफ के लिए राजस्थान में सबसे उपयुक्त जगह सिरोही ही है। वैसे प्रदेश में सिरोही के अलावा जालोरए जोधपुर और अजमेर के कुछ हिस्सों में भी सौंफ की खेती की जाती है लेकिन सिरोही में सौंफ की खेती का तरीका सबसे जुदा है। सौंफ को छाया में सुखाने के कारण इसकी महक सालों तक वैसी ही रहती है। चमक भी बेहतरीन होती है।

राष्ट्रपति भवन तक बनाई पहचान
सौंधी खुशबू से पहचान बनाने वाली आबू की सौंफ की महक राष्ट्रपति भवन तक भी पहुंच चुकी है। कुछ साल पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन में भी इसके पौधे लगाने की इजाजत दी। मुगल गार्डन में यह आबू सौंफ.440 के नाम से पहचान बना रही है। मुगल गार्डन में देश के विभिन्न प्रकार के उच्च गुणवत्ता वाले पौधे ही लगाए जाते हैं।

हमारी हो सौंफ की मंडी
सिरोही जिले में सौंफ की कोई बड़ी मंडी है नहीं। इसलिए यहां के किसान गुजरात की ऊंझा मंडी पर निर्भर रहते हैं। क्यों कि यहीं एक ऐसी मंडी है जो सबसे निकट है। यदि जिले में ही बड़ी मंडी हो तो किसानों को ट्रेवलिंग व अन्य फायदा मिल सकता है।

यूनिट लगनी चाहिए
वैसे सौंफ का कई तरह से उपयोग किया जाता है। इसलिए इसकी छोटी.छोटी कई तरह की यूनिट लगाई जा सकती है। इसकी पचास ग्रामए सौ ग्राम.दो सौ ग्रामए किलो की अलग.अलग पैकिंग करने की यूनिट लगाई जा सकती है। इसके लिए ग्रेडिंगए सोर्टिंगए पैकिंग ध्यान देने की जरूरत है। क्यों कि यह शुगर कोटेड हैं। होटल या घरों में मुखवास में भी काम आती है। इसका शरबत भी बनता है। धनिया दाल के साथ मुखवास में काम आती है। इसके सुखाने में ज्यादा समय लगता है।

गुणवत्ता में बेहतरीन
राजस्थान के आबू अंचल में पिछले कुछ साल में सौंफ की उपज में गुणवत्ता और मात्रा के लिहाज से बेहद वृद्धि दर्ज की गई है। सौंफ की खेती में परम्परागत तौर तरीकों की बजाय नवाचारों के जरिए पानीए मेहनत और पूंजी की बचत के साथ बेहतर गुणवत्तापूर्ण उपज ली जा रही है। आबू की सौंफ देश में सबसे अलग तरह की खुशबूदार और गुणवत्ता से भरी है। यहां यदि छोटी.छोटी यूनिट लगाई जाए तो न सिर्फ किसानों की आमदनी बढ़ेगी बल्कि रोजगार के द्वार भी खुलेंगे।

डॉ. एमएस चांदावतए हैड और वरिष्ठ वैज्ञानिकए कृषि विज्ञान केन्द्रए सिरोही



Source: Sirohi News