संकट में फूलों का कारोबार: न सावों का सीजन, न मंदिरों में मेला, कोरोना में कहां लगाएं लॉरी या ठेला

त्रिलोक शर्मा
सिरोही। कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन में फूलों का कारोबार मुरझा गया है। किसानों के साथ फूल विक्रेता भी काफी प्रभावित है। धार्मिक स्थल, मंदिरों के वार्षिकोत्सव, शादी समारोह व अन्य आयोजन बंद होने के कारण फूल विक्रताओं के चेहरों पर मायूसी है।

पहले जहां शहर में आम दिनों में एक क्विंटल से अधिक फूलों की खपत होती थी वहीं अब चौथाई भी नहीं रह गई है। एक जून से हालांकि फूल विक्रेताओं ने बाजार व अन्य स्थानों पर लॉरियां लगाई हैं पर बिक्री बहुत कम है। शाम को अधिकांश पुष्प फेंकने ही पड़ते हैं। अब दुकानदारों को सिर्फ धार्मिक स्थल खुलने का इंतजार है ताकि व्यापार को कुछ सम्बल मिले।

फूलमाला कारोबारी कहते हैं कि दिन भर में हाथ खर्च निकलना भी मुश्किल है। ऐसे हालात में परिवार पालना भी दूभर हो रहा है। फूलों के कारोबार से कई लोग जुड़े होते हैं और इस वजह से न सिर्फ किसान बल्कि शादी-पार्टियों में सजावट करने वाले, बुके-गुलदस्ता बेचने वाले, धार्मिक स्थल पर फूल माला बेचने वाले भी लॉक डाउन में अपना काम खो चुके हैं।

शादियों में फूलों का डेकोरेशन करने वाले अशोक ने बताया कि लॉक डाउन का वक्त कारोबार का पीक था। इसी समय शादियां और पार्टियां होती हैं। पहले इस सीजन में कई मजदूर काम करते थे। जब सजावट की डिमांड होती थी तो हम बाहर से भी लोगों को बुलाते थे। इस लॉक डाउन में शादी-पार्टी का काम बंद है तो सजावट भी नहीं हो रही।

शादी और त्योहारों के मौसम में अगर कोई बड़ी पार्टी हो तो 50 हजार से एक लाख तक का कारोबार हो जाता था। अब फूल व्यवसाय से जुड़े सैकड़ों लोग बेरोजगार हो गए हैं। उन्होंने बताया कि फूलों की मांग छोटी अवधि के लिए रहती है। भीषण गर्मी में यदि दो-चार घंटे में बिक जाएं तो ठीक, नहीं तो दाम गिरने लगते हैं। वे मायूसी से कहते हैं, लगता है ऐसे हालात में फूलों की सजावट का काम लंबे समय तक नहीं होगा।

मोपेड पर सिमटी लॉरी
सतराराम ने बताया कि पहले बग्गी खाने के सामने लॉरी लगाते थे। शहर में करीब 20-25 लॉरी वाले फूल बेचते थे। लॉक डाउन के कारण धार्मिक स्थल बंद हैं। कुछ दिन घर पर बैठे। जमापूंजी खत्म हुई तो मोपेड पर 5-7 किलो फूल लाकर यहां बेचने लगे ताकि घर खर्च चले। सुबह-शाम फूल माला बेचने आते हैं। कुछ कमाई हो जाती है। पहले जहां 200-250 रुपए कमाते थे अब मात्र 100-150 रुपए ही मिल पाते हैं। उनके जैसे फूल बेचने वाले कई लोग लॉक डाउन में घरों में बैठे रहे। किसी के पास कोई काम नहीं है।

बम्पर कमाई पर ग्रहण
सदर बाजार में चारभुजा मंदिर के पास फूल विक्रेता भगाराम ने कहा कि मार्च, अप्रेल और मई व्यापार के लिए अच्छा रहता है। किसान व विक्रेता इस सीजन का पूरे साल इंतजार करते हैं। शादी और अन्य मांगलिक कार्यों के लिए ऑर्डर बुक किए जाते हैं मगर इस साल लॉक डाउन से सारे आर्डर भी रद्द हो चुके हैं। पहले इन दिनों फुर्सत ही नहीं मिलती थी। इस साल तो सावे भी अधिक थे। बम्पर कमाई की आस लगाए बैठे थे पर सारे सपने धरे रह गए।

चहुंओर मासूसी
पैलेस रोड पर बैठे फूल विक्रेता मेलापकुमार ने कहा कि कई सपने संजोए थे लेकिन अब उनके कुछ हाथ नहीं लग पा रहा है। ऐसे में चहुंओर मासूसी है। फिलहाल नवरंगा के फूल आ रहे हैं। इनके दाम 20 से 30 रुपए किलो हैं। कुछ गुलाब के फूल भी आ रहे हैं। माला में डिजाइन के लिए इनका उपयोग होता है। अभी फूलों की खपत घरों व कुछ बड़े मंदिरों में ठाकुरजी के शृंगार में हो रही है। गेंदा के फूल सावन के बाद आएंगे।



Source: Sirohi News