माउंट आबू/सिरोही. पर्यटन स्थल माउंट आबू की ऐतिहासिक नक्की झील के विभिन्न घाटों पर पीपली पूनम पर आयोजित होने वाले मेले में आदिवासियों की टोलियों की चहल-पहल मेले से पूर्व ही नजर आने लगी है। समाज में किसी बात को लेकर अन्य किसी से चल रही रंजिश के तहत होने वाले लड़ाई-झगड़े से बचाव को लेकर आदिवासी विभिन्न समूहों में मुख्य मेले से पूर्व ही वर्षभर में दिवंगत परिजनों के अस्थि विसर्जन से लेकर अन्य सामाजिक कार्य निस्तारण को माउंट आबू पहुंचते हैं। जिसके चलते सोमवार को नक्की झील में कई आदिवासियों ने रीति रिवाज के अनुसार विभिन्न धार्मिक रस्में अदा की।
चांदनी रात में नाचते गाते आएंगे
पीपली पूनम पर भरने वाले मेले में अपने परंपरागत वाद्ययंत्रों ढोल थाली की थाप पर नाचते-गाते आदिवासी ऐतिहासिक नक्की झील के आस पास एकत्रित होंगे। चांदनी रात में जंगलों के रास्ते चलकर पीपली पूनम को अलसुबह तक आदिवासियों के आने का क्रम जारी रहेगा।
ऐसे रहेंगे कार्यक्रम
मेले के दौरान नक्की झील में पवित्र स्नान कर अपने रीति रिवाज अनुसार दिवंगत परिजनों की आत्मिक शान्ति को पितृ तर्पण करेंगे। इसके बाद आरंभ होगा ढोल-थाली, तीर कमान, लाठियों, टेपरिकाॅर्डर की फिल्मी धुनों पर युवक-युवतियों का वालर नृत्य। जो दिनभर चलता रहेेगा। सांझ ढलते ही यह लोग नाचते गाते अपने घरों को प्रस्थान कर जाएंगे।
आदिवासियों ने की खरीददारी
भाखर क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों से आकर मेले में शरीक होने वाले चमकीले रंग बिरंगे ठेठ आदिवासी परिधानों में सज-संवर कर आदिवासी गरासिया जाति के युवक-युवतियों की टोलियाें ने मेले में विभिन्न सामानों की भी खरीदारी की।
मेले से पूर्व अदा की रस्में
जो आदिवासी लोग पूनम के अवसर पर किसी कारणवश अस्थि विसर्जन के लिए नहीं आ सकते, वे सोमवार को नक्की झील में स्नान आदि कर दिवंगत आत्मा की शान्ति को पितृ तर्पण की रस्में अदा करते नजर आए।
Source: Sirohi News