राजस्थान में यहां बनेगा देश का पहला 'एग्रो इको टूरिज्म' व 'इंटरनेशनल फ्लावर रिसर्च सेंटर'

Sirohi News : नई सरकार के साथ ही नया साल 2024 पर्यटन स्थल माउंट आबू के लिए अच्छी खबर लेकर आ रहा है। प्रदेश के एकमात्र हिल स्टेशन माउंट आबू में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए देश का पहला एग्रो ईको टूरिज्म व इंटरनेशनल फ्लावर रिसर्च सेंटर बनने जा रहा है। कृषि विभाग ने इसके लिए सनसेट प्वॉइंट के पास उद्यान विभाग को पुरानी नर्सरी की 12 बीघा जमीन उपलब्ध करवाई है। साथ ही इसके लिए सरकार ने राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत 10 करोड़ रुपए का बजट भी जारी कर दिया है। वहीं, कृषि विपणन बोर्ड सुमेरपुर ने इस योजना के तहत 7.45 करोड़ रुपए के टेंडर की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। बाकी 2.55 करोड रुपए के कार्य राजहंस के तहत होंगे। अब जल्द ही यह कार्य कृषि विपणन बोर्ड शुरू करवाएगा। माउंट आबू में बनने वाले एग्रो ईको टूरिज्म व इंटरनेशनल रिसर्च सेंटर में ग्रीन हाउस, पॉली हाउस, ग्लास हाउस पद्धति से खेती के तरीके और अंतरराष्ट्रीय फूलों की खेती पर अनुसंधान किया जाएगा।

 

 

 

दो वर्षों से ठंडे बस्ते में चल रही थी योजना

इस योजना के लिए सरकार ने दो वर्ष पूर्व आर के वी वाई (राष्ट्रीय कृषि विकास योजना) के तहत 10 करोड़ रुपए मंजूर किए थे। साथ ही विभाग द्वारा इसके टेंडर भी कर दिए थे। वहीं जिला कलक्टर की अध्यक्षता वाली समिति ने इसको लेकर अनुमति भी जारी कर दी थी। टेंडर होने के बाद संबंधित फर्म ने कार्य भी शुरू कर दिया था, लेकिन बीच में ही कार्य छोड़ने के बाद यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई। हालांकि नई सरकार बनने के बाद विभाग ने अपने स्तर पर इस योजना को अमली जामा पहनाने के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है।

 

 

 

 

विदेशी प्रजातियों के कट फ्लावर पर होगा रिसर्च

माउंट आबू के फ्लावर रिसर्च सेंटर शुरू होने के बाद इसमें विदेशी कट फ्लावर पर रिसर्च होगा। अभी राजस्थान में सिर्फ हंजारा, गुलाब फूल जैसी दो-तीन प्रजातियों के फूलों की खेती ही होती है, लेकिन माउंट आबू का मौसम फूलों की प्रजातियों के अनुकूल होने के कारण ओरकिड, ट्रूलिफ, रजनी गंधा समेत अन्य विदेशी प्रजातियों के कट फ्लावर पर रिसर्च कर फूलों की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। यहां आने वाले पर्यटकों के लिए भी रिसर्च सेंटर खुला रहेगा।

 

 

 

 

 

दक्षिण अफ्रीका की तरह हाइड्रोपॉनिक पद्धति से खेती

माउंट आबू में दक्षिण अफ्रीका की तर्ज पर हाइड्रोपॉनिक पद्धति (भूमि रहित खेती) को भी बढ़ावा दिया जाएगा। हाइड्रोपॉनिक पद्धति में ट्रे लगाकर फल-सब्जियां तैयार की जाएगी। रिसर्च सेंटर में पॉली हाउस, ग्रीन हाउस से भी खेती की जाएगी। ताकि इसे देखकर किसान अपने खेतों में इस आधुनिक तकनीकी का उपयोग कर सकें। और नई पद्धतियों के बारे में वे जानकारी भी ले सकेंगे।

 

 

 

 

 

प्रदेश के अन्य जगह पर भी हो चुके हैं प्रयास

वैसे तो प्रदेश में एग्रो टूरिज्म (कृषि पर्यटन) को बढ़ावा देने के लिए कुछ वर्षों पूर्व जैसलमेर जिले के सगरा भोजका में खजूर के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में टेंट लगाकर सैलानियों को आकर्षित करने का कार्य शुरू हुआ था, लेकिन सैलानियों की कमी के चलते योजना फलीभूत नहीं हो पाई। इसी तरह टॉक के खडोली गांव को मिनी गोवा की तर्ज पर विकसित करने के लिए उद्यानिकी नवाचार केंद्र की आधारशिला रखी गई थी। यहां नारियल और सुपारी के पौधों का रोपण भी किया गया था। इन सब के बीच अब प्रदेश के एकमात्र हिल स्टेशन माउंट आबू में सरकार अब बड़े स्तर पर इसकी तैयारी करने जा रही है।

 

 

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कई पॉइंट पर्यटकों को लुभाएंगे

सनसेट पॉइंट के पास 12 बीघा जमीन पर यह देश का पहला सेंटर बनेगा। माउंट आबू में एग्रो ईको टूरिज्म को लेकर फ्लावर प्रदर्शनी लगाई जाएगी। यहा एग्रो टूरिज्म मॉडल बनेगा। 15 लाख रुपए की लागत से चारदीवारी का निर्माण किया गया है। साथ ही अब यहां बड़ा मुख्य द्वार बनेगा। जहां एक टिकट खिड़की भी होगी। वही सेंटर के अंदर से निकल रहे नाले पर चेक डैम का निर्माण होगा, जिसे नेचुरल लुक दिया जाएगा। अंदर की कुछ पहाड़ियों को भी अलग लुक दिया जाएगा। बाहर से आने वाले अतिथियों के रात्रि विश्राम करने के लिए चार स्विच टेंट भी लगाए जाएंगे। इसके अलावा चारों तरफ फुटपाथ का निर्माण भी किया जाएगा, जिससे अंदर आसानी से घूमा जा सकता है। वहीं पीस पोंड का ओर फ्लोरी कल्चर जॉन का भी निर्माण होगा।

 

 

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माउंट आबू में देश का पहला बड़ा एग्रो ईको टूरिज्म व फ्लॉवर रिचर्स सेंटर बनेगा। इको सेंसेटिव जोन होने के कारण कार्य के लिए अनुमति हमें देरी से मिली। इसके बाद हमने पिछले वर्ष टेंडर भी किए थे, लेकिन ठेकेदार बीच में ही कार्य छोड़कर चला गया। अब हमने दोबारा टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है। जल्द इस कार्य को अमली जामा पहनाया जाएगा।
– हेमराज मीणा, सहायक निदेशक, उद्यान, विभाग सिरोही



Source: Sirohi News