लेह-लद्दाख
ठंडी वादियों के साथ संस्कृति जानने का भी मौका
यहां की वादियों और बर्फ के साथ भारत, तिब्बत और चीन का कल्चर देखने को मिलेगा। इन क्षेत्रों में आज भी कम पर्यटक जाते हैं, लेकिन अब वहां जाना न केवल आसान है बल्कि सस्ता और सुरक्षित भी है। लद्दाख जाने के दो रास्ते हैं। एक कश्मीर से और दूसरा मनाली से। दोनों सडक़ मार्ग से खुले हुए हैं। वायुयान से जाते हैं तो लेह एयरपोर्ट मिलेगा। लद्दाख में बहुत सारे बौद्ध मठ हैं जहां आपको अपार सुकून मिलेगा। लद्दाख में ही पथर साहिब गुरुद्वारा है। इसको देखना अलग आनंद देता है। यहां की जामा मस्जिद देखी जा सकती है जो बिल्कुल अलग तरीके से लद्दाख शिल्पकला से बनी है।
यहां कई ग्लेशियर को देख सकते हैं। यहां का चादर ट्रैक वल्र्ड फेमस है, लेकिन मई-जून के महीने में बर्फ पिघलने से इसका मजा नहीं ले पाएंगे। लद्दाख जाने से पहले हमेशा वहां का तापमान देख कर जाएं। सरकार की ओर से यहां जाने वाले पर्यटकों को 48 घंटे होटल में रुकने के बाद ही घूमने की अनुमति है ताकि शरीर वातावरण के अनुसार हो जाए। लेह में सेंट्रल एशियन म्यूजियम है। यहां सिल्क रूट से जुड़ी चीजें देखने को मिलेंगी। इसमें तीन देशों की चीजें देख सकते हैं। यहां लद्दाख का ओरिजनल आर्किटेक्ट देख सकते हैं। मोटर बाइकिंग और रॉफ्टिंग भी कर सकते हैं।
इन स्थलों पर भी जाएं
यहां पैंगोंग झील जहां कई फिल्मों की शूटिंग हुई है। मैग्रेटिक हिल, लेह पैलेस, फुगताल मठ, शांति स्तूप, प्राकृतिक खूबसूरती देखने के लिए खारदुंग ला पास, 11वीं शताब्दी से अपने अस्तित्व बनाए रखने वाले हेसिम मठ, 17वीं सदी का स्टोक पैलेस और कई झीलें हैं। वहां ठंड रहती है। गर्म कपड़े जरूर लेकर जाएं।
कश्मीर
सस्ते में वादियों के साथ आठवीं सदी के सूर्य मंदिर में दर्शन
कश्मीर को यों ही स्वर्ग नहीं कहा जाता है। यहां सस्ते में ज्यादा घूमने के मौके हैं। यहां वादियों के साथ आप धार्मिंक पर्यटन भी कर सकते हैं। श्रीनगर जाने के लिए ट्रेन से आप उधमपुर पहुंचें। वहां से शेयर टैक्सी से श्रीनगर 6 घंटे में पहुंच जाएंगे। उधमपुर-श्रीनगर के बीच काजीकुंड में ट्रेन भी मिलती है। वहां से 30 रुपए किराया देकर भी श्रीनगर पहुंच सकते हैं। कई प्रसिद्ध मंदिरें भी हैं जो पिछले कुछ वर्षों में खुल गए हैं। वहां पूजा पाठ भी हो रहे हैं। यहां आठवीं सदी का बना सूर्य मार्तंड मंदिर है। अब ज्यादा श्रद्धालु आते हैं। मई-जून के महीने में पूरे कश्मीर में बसंत होता है। यहां की वादियां रंग-बिरंगे फूलों से लदी रहती है। रास्तों के दोनों तरफ अल्पाइन व चीड़ के ऊंचे पेड़ और झरने दिखते हैं।
यहां भी जाएं
श्रीनगर में डल झील में शिकारा बोटिंग कर सकते हैं। सोनमर्ग-गुलमर्ग, पुलवामा, गुरेज, यसमर्ग, अरूवैली, लोलाब वैली आदि खूबसूरत जगह हैं। यहां के गांव भी बहुत सुंदर होते हैं। धार्मिक रूप से बाबा बर्फानी अमरनाथ और वैष्णोदेवी में भी दर्शन कर सकते हैं।
अब हर जगह मिलता वेज फूड
अब आपको पूरे कश्मीर में शुद्ध वेज खाना मिलेगा। आपको पंजाबी और गुजराती भोजन भी मिलेगा। यहां बेकिंग भी काफी प्रसिद्ध है। कस्बों में आपको हर थोड़ी दूर पर तंदूर दिख सकता है। ध्यान रखने वाली बात है कि आप जहां भी जाएं वहां के कल्चर का सम्मान करें। सार्वजनिक स्थलों पर गंदगी न करें। अल्कोहल आदि से बचें।
हिमाचल
देवभूमि और दलाई लामा का घर…
हिमाचल प्रकृति के साथ-साथ धार्मिक और एजुकेशनल ट्रिप भी देता है। नेचर लवर्स को हिमालय नेशनल पार्क, पार्वती वैली, तीर्थन वैली, एप्पल वैली घूमने जाना चाहिए। जहां जाएं वहां के आसपास के क्षेत्र भी घूमें। किन्नौल जगह यूथ के लिए अच्छी जगह है जहां एडवेंचर्स एक्टिविटी कर सकते हैं। परिजनों के साथ जाना है तो करसोग वैली जाएं। देश में सबसे पहले सेब यहां तोड़े जाते हैं लेकिन ध्यान रखें कि मई-जून में यहां केवल हरे सेब दिखेंगे। लाल सेब जुलाई-अगस्त में दिखते हैं। पूरे हिमाचल में आपको हिमालयन आर्किटेक्ट देखने को मिलेगा।
कसौल घाटी में एक मंदिर है जहां पर महाभारत के समय का गेहूं का एक दाना रखा हुआ है जिसका वजन 250 ग्राम है। वहां महाभारत काल से ही एक अखंड ज्योत जल रही है। करसुब घाटी में ही कामाक्षा देवी का मंदिर भी है। कसौल से आगे चलते हंै तो चिन्दी माता मंदिर है। मान्यता है कि इसको चींटियों ने बनाया है। धर्मशाला-मैकलायड जाते हैं तो दलाई लामा के दर्शन हो सकते हैं। वहां कई म्यूजियम जा सकते हैं। वहां ज्वाला और नैना देवी के दर्शन कर सकते हैं। शिमला की बजाय वहां के आसपास के छोटे-छोटे स्थानों पर जाएं।
अन्य प्रसिद्ध जगह
लौह स्पीति हिमाचल की ठंडी जगहों में से एक है। एडवेंचर्स के लिए कुल्लू, मनाली, बीर बिलिंग आदि जगहों पर जाएं। ग्रामीण संस्कृति को देखना है तो मलाना के ग्रामीण क्षेत्रों में जाना चाहिए।
उत्तराखंड
सस्ते सरकारी स्टे होम्स
धार्मिक यात्रा के साथ अशोक काल के स्तंभ भी देखें
यहां चार धाम यात्रा के साथ मौज मस्ती व एजुकेशनल टूर कर सकते हैं। एडवेंचर्स युवाओं को काफी आकर्षित करता है। शिक्षा के लिहाज से देहरादून में 1906 में बना एफआरआइ (फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट) अच्छा है। वहां एक दिन जरूर बिताएंं। मसूरी में ही एक वैक्स म्यूजियम है। यहां के लेनडोर में रस्किन बॉन्ड रहते हैं, वहां जा सकते हैं। चकराता में 450 बीसी का अशोक स्तंभ है। रानीखेत के घास के मैदान और गांधी कुटी भी लोगों को आकर्षित करते हैं। इनके अलावा हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून, औली जरूर जाएं। ठहरने के लिए आपको सबसे अच्छा विकल्प में सरकारी स्टे होम्स हैं। यह सस्ते और सुरक्षित हैं। अगर धाम के लिए जाते हैं तो रजिस्टे्रशन पहले कराएं।
बंगाल से शुरू हो जाती है नॉर्थ ईस्ट की यात्रा
नार्थ ईस्ट बहुत ही खूबसूरत एवं आकर्षक है जो अपनी सुंदर प्रकृति, विविध संस्कृति, आदिवासी जीवन शैलियों, आकर्षक बाजारों और स्थानों के लिए जाना जाता है। प्रमुख राज्यों में असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, नागालैंड, मिजोरम और त्रिपुरा शामिल हैं। यहां से हिमालय ऊंची चोटियां देख सकते हैं। यहां के जंगल, जानवर और चाय के बागान काफी आकर्षित करते हैं। यहां के विविध संस्कृतियों का अनुभव कर सकते हैं और इस क्षेत्र के साथ-साथ आदिवासी संस्कृतियों का भी अनुभव कर सकते हैं।
इन जगहों पर भी जरूर जाएं
यहां आप सिंगिंग डॉग्स देख सकते हैं। शिलांग की कॉफी भी काफी प्रसिद्ध मानी जाती है। कांजीरंगा में आप गैंडे के साथ बाघ, हाथी, भालू आदि देख सकते हैं। जिन्हें क्रॉफ्ट पसंद है उनके लिए यह क्षेत्र काफी अच्छा है। इस क्षेत्र में स्थानीय चीजों से स्थानीय कलाकारों द्वारा तैयार किया क्रॉफ्ट न केवल आकर्षक होता है बल्कि बहुत सस्ता भी होता है। वहां कई मेले और फेस्ट का भी आयोजन होते रहते हैं। वहां जाएं तो उनके बारे में भी पता करें। म्यूजियम जरूर जाएं। वहां की संस्कृति और विरासत को देखने-समझने का मौका मिलेगा। नागा संस्कृति भी काफी प्रसिद्ध है।
यहां भी जा सकते हैं: काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, त्सोमगो झील, युमथांग घाटी, चेरापूंजी, तवांग मठ, नाथुला दर्रा, जीरो घाटी, गुरुडोंगमार झील, तीस्ता नदी, लोकतक झील, माजुली द्वीप, गोरीचेन पीक, सेला दर्रा और कई अन्य खूबसूरत जगहें जहां आप फैमिली के साथ जा सकते हैं।
कायनात काजी
टे्रेवल राइटर, ब्लॉगर, सोलो ट्रेवलर। यह पिछले चार वर्षों में दो लाख किमी. से अधिक की यात्रा कर चुकी हैं।
Source: Travel News