राजस्थान के इस जिले में चुनौती बनी जानलेवा एड्स बीमारी

Deadly AIDS disease became a challenge in Sirohiसिरोही। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के लगातार प्रयास के बावजूद एड्स का खतरा बढ़ता जा रहा है। जागरुकता की कमी और जरा सी असावधानी की वजह से लोग इस लाइलाज बीमारी के संक्रमण की चपेट में आते जा रहे हैं। जागरुकता के अभाव में एचआईवी संक्रमित व्यक्ति जाने, अनजाने में अपने परिवार के सदस्यों को भी इस बीमारी का शिकार बना रहे हैं। चिंता की बात तो यह कि पंजीकृत एचआईवी संक्रमितों में युवाओं की संख्या भी कम नहीं है।

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो सिरोही जिले में 2014 में एआरटी सेंटर खुलने से लेकर अब तक करीब 9 वर्ष में एड्स के 1880 मरीज सामने आए हैं। इनमें करीब 30 फीसदी संक्रमितों की आयु करीब 25 से 45 वर्ष के बीच है। कुछ महिलाएं भी शामिल है। इनमें माइग्रेंट सबसे अधिक है, जो घर से बाहर रहते हैं और वहां से बीमारी लाकर अपनों में फैला रहे हैं।

हालांकि पिछले वर्षों के मुकाबले जरूर एचआईवी संक्रमित घट रहे हैं, लेकिन अभी भी प्रतिवर्ष औसतन डेढ सौ अधिक मरीजों का आंकड़ा पार है।इस बार की विश्व एड्स दिवस की थीम समानता के व्यवहार को अपनाते हुए एड्स मरीजों से नहीं, इस मर्ज से लडऩे का संकल्प लेना होगा। एचआईवी पॉजिटिव से कई लोग घर, समाज व अन्य स्थलों पर भेदभाव रखते हैं। इसे कम करने के लिए ही इस बार विश्व एड्स दिवस की थीम समानता रखी है। ताकि लोगों में जागरुकता आए और पीडि़तों से सकारात्मक व्यवहार रखें।

आईसीटीसी सेंटर पर हर साल 5 हजार मरीजों की जांच

सिरोही के राजकीय जिला अस्पताल स्थित आईसीटीसी सेंटर पर एचआईवी की जांच होती है। जिला अस्पताल में आने वाले सामान्य मरीजों में से हर वर्ष करीब 5 हजार मरीजों की एचआईवी की जांच की जाती है। जिनमें एचआईवी पॉजिटिव आने वाले मरीजों को एआरटी सेंटर पर परामर्श, उपचार एवं दवाइयां दी जाती है।

9 साल में मिले 1880 एचआईवी संक्रमित, 345 की मौत

जिले में एआरटी सेंटर खुलने से लेकर अब तक 9 वर्ष में कुल एड्स के 1880 मरीज पंजीकृत हुए हैं। जिनमें से 345 मरीजों की मौत हो चुकी है और 45 लोगों ने स्वेच्छा से दवा खाने से मना कर दिया। शेष मरीजों को यहां दवाई दी जा रही है। जिससे मरीज नियमित दवा लेकर सामान्य जीवन जी रहे हैं।

इस वर्ष 9 गर्भवती महिलाएं भी मिली संक्रमित

स्वैच्छिक परामर्श एवं जांच केन्द्र में इस वर्ष 2022 में अप्रेल से नवम्बर तक 1744 लोगों की एचआईवी की जांच की गई, जिनमें 86 लोग एचआईवी पॉजिटिव मिले हैं। जबकि गर्भवती महिलाओं में 2761 की जांच में 9 महिलाएं संक्रमित पाई गई। उक्त संक्रमितों की काउंसलिंग कर दवाई दी जा रही है।

ये है एड्स के कारण, इनसे बचाव ही उपचार

-एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध से

-एचआईवी संक्रमित रक्त चढ़ाने से-एचआईवी संक्रमित सुई के उपयोग से

-एचआईवी संक्रमित मां से होने वाले शिशु में

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नियमित दवा से सामान्य जीवन जी सकते हैं एड्स रोगी

यह गंभीर बीमारी है, इसलिए इससे बचाव ही उपचार है, लेकिन संक्रमित नियमित दवा लेने से सामान्य जीवन जी सकते हैं। मरीज को सेंटर पर परामर्श लेने के बाद प्रतिदिन एक गोली लेनी होती है। जो वायरस के प्रभाव को कम करती है। इससे मरीज स्वस्थ रहता है ओर रोग आगे नहीं फैलता है।——डॉ. वीरेन्द्र महात्मा, नोडल प्रभारी, एआरटी सेंटर

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एचआईवी संक्रमण, इससे बचाव आदि को लेकर सिरेाही जिले के एआरटी सेंटर के वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ. देशबन्धु शर्मा से बातचीत…

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सवाल- एचआईवी होने पर इसके लक्षण कितने समय में दिखना शुरू होते है?

जवाब- एचआइवी का वायरस शरीर में प्रवेश करने पर तत्काल बाद भी लक्षण दिखा सकता है और कई बार पीडि़त की रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होने पर कुछ साल बाद लक्षण नजर आते हैं।

सवाल- क्या एचआईवी से संक्रमित मरीज सामान्य जीवन जी सकता है?जवाब- एचआईवी के शुरुआती लक्षण दिखते ही मरीज को परामर्श लेकर दवा लेना शुरू कर देनी चाहिए। इससे मरीज सामान्य जीवन जी सकता है। प्रतिदिन केवल एक टेबलेट लेनी होती है। संक्रमित को लिट्रो वायरस ड्रग देते हैं। जो वायरस के प्रभाव को कम करती है। इससे मरीज स्वस्थ रहता है ओर रोग आगे नहीं फैलता है।

सवाल- किन मरीजों की एचआईवी जांच जरूरी है ?

जवाब- अस्पताल में आने वाले मरीजों में संदिग्ध नजर आने पर चिकित्सक जांच लिखते हैं। इसके अलावा गर्भवती महिला, टीबी मरीजों, ऑपरेशन कराने वाले मरीजों, ऐसे मरीज जिनके मुंह में बार-बार छाले होते है, दस्त अधिक लगती है या वजन कम होता है। फंगल इन्फेशन वालों की भी यह जांच करवा लेते हैं। यदि किसी ने असुरक्षित यौन सम्बन्ध बनाए हैं तो उसे जांच जरूर करानी चाहिए।

सवाल- किन लोगों को एचआईवी संक्रमण की अधिक आश्ंाका रहती है?

जवाब- असुरक्षित यौन सम्बन्ध बनाने वालों को, इंजेक्शन से नशा लेने वालों, माइग्रेंट यानी लम्बे समय तक घर से दूर रहने वाले प्रवासियों में इसकी आशंका अधिक रहती है। गर्भवती महिलाओं व टीबी रोगियों को भी जांच करा लेनी चाहिए।

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सिरोही जिले में वर्षवार इतने रोगी आए सामने

वर्ष एचआईवी पॉजिटिव

2014 2

2015 552

2016 193

2017 199

2018 240

2019 222

2020 184

2021 154

अप्रेल 2022 से अब तक 133



Source: Sirohi News