51 शक्तिपीठों में से एक है माउंट आबू स्थित अर्बुदादेवी शक्तिपीठ, देश-विदेश से पहुंचते है श्रद्धालु

माउंट आबू. पर्यटन स्थल माउंट आबू की प्राचीन मंदिरों, देवालयों, तपोस्थलियों के कारण धार्मिक जगत में अलग ही पहचान है। देश के 51 शक्तिपीठों में से एक आबू के पहाड़ों के मध्य गुफा में विराजित कात्यायनी मां अधरदेवी मंदिर है, जहां शारदीय नवरात्रों के तहत विशेष धार्मिक कार्यक्रम हर वर्ष आयोजित किए जाते हैं। इस वर्ष भी आयोजन को लेकर तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। नवरात्रों के दौरान विशेष रूप से माता के दर्शन लाभ लेने के लिए देश विदेशों के श्रद्धालु यहां पहुंचेंगे।

मंदिर पुजारी भरत रावल ने बताया कि विधि विधानपूर्वक मुहुर्त के अनुसार घट स्थापना के बाद विश्व मंगल को लेकर प्रार्थना होगी। श्रद्धालुओं के लिए दर्शन की विशेष व्यवस्थाओं के तहत मंदिर गुफा में पूजन सामग्री फूल माला, प्रसाद व दर्शन का समय सुबह आठ से शाम पांच बजे तक रहेगा।

ऋषियों को मिला अभय आशीर्वाद

जानकारों की मानें तो यहां पर मां के अधर गिरे थे, जिसकी वजह से ये स्थान अधर देवी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हुआ। अर्बुदांचल में तप करने वाले ऋषियों को शुंभ नामक दैत्य अत्यधिक परेशान करता था और हर समय उनके धार्मिक जप तप में बाधाएं डालकर उन्हें भयभीत करता था। मां की अराधना करने पर ऋषियों को अभय आशीर्वाद मिला।

दर्शन बिन तीर्थ अधूरा

मंदिर पहुंचने के लिए 370 सीढियां चढकर श्रद्धालु आस्था स्थल अधरदेवी के दर्शन करते हैं। दर्शनार्थी जब तक अर्बुदा देवी मंदिर के दर्शन नहीं कर लेते, तब तक उनका तीर्थ पूरा नहीं माना जाता।

वर्ष भर होते हैं विभिन्न महोत्सव

परमार राजपूतोंं की कुल देवी का अक्षय तृतीया को वार्षिक उत्सव मनाया जाता है। वर्ष के चारों नवरात्रों पर यहां अखण्ड चंडी पाठ, नवचंडी यज्ञ, अक्षय तृतीया पर वार्षिकोत्सव, चैत्रीय पूनम पर ध्वजादंड समेत विभिन्न महोत्सवों का आयोजन होता है।

घर के सारे दूध को चढ़ाता राजपूत समाज

आषाढ़ महीने में मानूसन के मध्य सावन में दो बार राजपूत समाज के लोग घर में उपलब्ध सारे दूध को माता के मंदिर में चढ़ाकर खीर प्रसादी बनाते हैं।

फोटो – माउंट आबू. शक्तिपीठ अधरदेवी मंदिर का प्रवेशद्वार।



Source: Sirohi News