मंडार. क्षेत्र में दो साल पहले डेढ करोड़ की लागत से सोराडा तक बनी 6 किलोमीटर लम्बी सडक़ निर्माण में बरती गई लापरवाही के चलते उखड़कर गडढों में तब्दील हो गई है। सड़क कई जगह से खस्ताहाल होने से वाहनचालकों का आवागमन दूभर हो रहा है। विभाग की लापरवाही का आलम यह है कि हर साल बारिश के पहले और बाद पर डामर की परत डालकर लीपापोती करने के बावजूद संबंधित निर्माण ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती है। जिससे कुछ दिनों में ही सड़क फिर से उखड़कर गडढों में तब्दील हो जाती है। इस बार भी बारिश से सड़क खस्ताहाल हो गई, जिससे वाहन चालकों को हिचकोले खाने पड़ रहे है। इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे।ग्राम पंचायत सोरड़ा से मंडार तीन बत्ती तक दो साल पहले करीब डेढ़ करोड़ की राशि से 6 किलोमीटर सडक़ का निर्माण हुआ था। सड़क निर्माण के छह माह बाद ही बिखर गई। इसके बाद से हर साल उसकी लीपापोती की जा रही है। ऐसे में वाहनचालक परेशान है।
गुजरात जाने का है मुख्य मार्ग, फिर भी दुर्दशा
ग्रामीणों ने बताया कि यह सडक़ गुजरात के डीसा, पालनपुर, अहमदाबाद जाने का मुख्य मार्ग होने से दिनभर वाहनों की आवाजाही रहती है। इसके बाद भी ध्यान नहीं दिया जा रहा। मंडार से सोरड़ा तक तीन किमी सडक तो पूरी तरह जर्जर होने से वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। शांतिलाल चौधरी, मानाराम चौधरी व धामसीन पूर्व सरपंच बलवंत पुरोहित ने बताया कि सडक़ पर जगह-जगह डामर उखडऩे से गड्ढे हो गए हैं। संबंधित कार्य एजेंसी के ठेकेदार व विभागीय अधिकारियों की अनदेखी के चलते गुणवत्ताहीन कार्य किया गया है। जिससे सड़क समय से पहले ही उखड़ गई। ग्रामीणों ने बताया कि सडक़ निर्माण के दौरान भी अधिकारियों को अवगत कराया था, लेकिन सुनवाई नहीं हुई।
मरीज भी होते हैं परेशानग्रामीणों ने बताया कि यह सडक़ मार्ग गुजरात के अलावा मंडार से सोरड़ा, रानीवाड़ा, सुधांमाता, भीनमाल, जालोर, बाड़मेर समेत राजस्थान के भी कुछ जिलों व शहरों को जोड़ती है। ऐसे में गुजरात में उपचार के लिए जाने वाले एम्बुलेंस व अन्य वाहन भी हिचकोले खाते निकालते हैं। जिससे मरीजों को परेशानी होती है। सोरड़ा सरपंच लेहराराम भाट ने बताया कि शिकायत के बाद भी विभाग के अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे है। जल्द ही पंचायत स्तर पर प्रस्ताव लेकर विभाग के अधिकारियों को लिखा जाएगा।
Source: Sirohi News