दूसरों की जान बचाने वाले खुद खतरे के साए में जीने को मजबूर

माउंट आबू. ठीक एक सौ बाइस साल पूर्व 20 मई,1900 को अंग्रेजी हुकूमत ने माउंट आबू में जिस सरकारी अस्पताल भवन की नींव रखी थी, वह अब जर्जर हाल हैं। उसी अर्से में अस्पताल परिसर में चिकित्सकों व चिकित्साकर्मियों के लिए बने सरकारी आवासीय क्वार्टर भी जर्जर हालत में हैं। ऐसे हालात में दूसरों की जिंदगी बचाने वाले चिकित्साकर्मी खुद खतरे के साए में रहने, कार्य करने व सोने को मजबूर हैं। इनके बाल-बच्चे भी डर के साए में जी रहे हैं। 1902 में अस्पताल परिसर में तीन चिकित्सकों, 9 नर्सिंग कर्मियों व 6 वार्ड बॉय के लिए क्वार्टर बनवाए गए थे। जो अब पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। कर्मचारी व उनके परिवारजन बारिश के दिनों में रातभर सो नहीं पाते। सौ साल पुरानी बिजली फिटिंग के चलते दीवारों में अक्सर करंट आता रहता है। वार्ड व मुख्य भवन में पानी टपकता है। कई उपकरण खराब हो रहे हैं। मोर्चरी भी खस्ता हालत में है।

6 परिवारों के बीच एक शौचालय

सरकारी क्वार्टरों में निवासरत आधा दर्जन नर्सिंगकर्मियों के परिवारों के बीच महज एक शौचालय बना हुआ है। ऐसी स्थिति में उन्हें शौचालय में जाने के लिए लम्बा इंतजार करना पड़ता है।

बजट तो दिया, पर अब याद नहीं

विधायक समाराम गरासिया से सम्पर्क साधने पर बताया कि कुछ समय पहले ही उन्होंने क्वार्टर की मरम्मत के लिए जिला परिषद को 10 लाख रुपए का बजट विधायक कोष से देने की चिट्टी लिखी थी। पर, आगे क्या हुआ इसकी जानकारी नहीं है।

बेशक अस्पताल भवन व क्वार्टर जर्जर हालत में हैं। उच्च अधिकारियों को अवगत करवाया हुआ है। विधायक कोष से बजट की हमारे पास कोई जानकारी नहीं है।

– डॉ. राजेश कुमार, सीएमएचओ, सिरोही

छह परिवारों के बीच एक शौचालय बना हुआ है। सौ साल पुरानी टीन की चद्दरें जंग खा चुकी हैं। दीवारों से बारिश का पानी रिसता रहता है। शीघ्र मरम्मत की दरकार है।

– जितेन्द्र कुमार, नर्सिंगकर्मी, माउंट आबू



Source: Sirohi News