जिन्दगी के आखिरी पड़ाव पर मोक्ष दे रहा ‘शवों का मसीहा’

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
सिरोही। कोरोना महामारी में असमय जिन्दगी गंवाने वालों में से कई ऐसे भी थे जिन्हें आखिरी पड़ाव में अपनों का कांधा तक नसीब नहीं हुअा। लेकिन निराशा के घोर अंधेरे के बीच सिरोही में एक मददगार उम्मीद की किरण बनकर सामने आ गया। वह न सिर्फ पार्थिव देहों को मोक्ष वाहिनी में रखकर शमशान स्थल तक पहुंचाता है, बल्कि अंतिम विदाई में कांधा देकर मानव धर्म भी निभाता है। इतना ही नहीं, माेक्ष वाहिनी का सारा खर्च तक खुद की जेब उठाता हैं। तीन महीनों के दौरान समाज के इस ‘साइलेंट हीरो’ ने 24 शवों का धार्मिक रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार करवाया है।

हम बात कर रहे हैं सिरोही के प्रकाश प्रजापति की, जिसमें दूसरों के लिए सेवा की भावना कूट-कूट कर भरी है। लायंस क्लब सिरोही का अध्यक्ष रह चुका प्रजापति कई बार रक्तदान कर चुका है। यहां के लोग इस साइलेंट हीरो को ‘शवों का मसीहा’ के रूप में जानने लगे हैं। बड़ी बात यह है कि एक फोन कॉल पर खुद मोक्ष वाहिनी लेकर दस से पन्द्रह मिनट में पहुंच जाता है।

चाहे शव को अस्पताल से शमशान पहुंचाना हो या आस-पास गांवों में उनके घर तक। सारा कार्य निशुल्क करता है। कोरोना महामारी में जरूरतमंदों के अंतिम संस्कार में शमशान घाट ले जाकर सरकार की गाइडलाइन और नियमों की पालना करते हुए अंतिम संस्कार में जुटा है। यदि किसी लावारिस या कोरोना संदिग्ध की मौत पर उसके परिजन नहीं आते हैं तो प्रकाश खुद विधि विधान से अंतिम संस्कार की क्रिया पूरा करवाता है।

घंटी बजते ही निकल पड़ता है

silent_hero.jpeg

प्रजापति ने बताया कि वे सात साल से लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करवाते आ रहे हैं। सडक़ दुर्घटना में मरे लोगों के शवों को घर पहुंचाना हो या शमशान घाट, हमेशा तैयार रहते हैं। दिन हो या रात मोबाइल की घंटी बजते ही घर से निकल पड़ते हैं। कोरोना काल में तो पूरे दिन सेवा कार्यों में जुटे हैं। प्रजापति का कहना है कि दिनभर में जब तक मानव सेवा का कार्य नहीं कर लेते, उन्हें चैन नहीं मिलता। सिरोही में किसी मरीज को रक्त की आवश्यकता हो तो परिजन तुरंत प्रभाव से प्रजापति से सम्पर्क करते हैं।

अंतिम सांस तक करूंगा सेवा
बकौल प्रकाश प्रजापति कोरोनाकाल में दो-तीन बार ऐसा हुआ कि जब परिजन अंतिम संस्कार तक में आने को तैयार नहीं हुए। मैंने पुलिसकर्मी और अन्य लोगों की मदद से अंतिम संस्कार करवाया। पिछले सात साल में 600 से ज्यादा शवों का। जब भी अंतिम क्रिया करके घर पहुंचता हूं तो उसका विवरण भी रजिस्टर में अंकित करता हूं। उनका कहना है कि अंतिम सांस तक वे सेवा कार्यों से जुड़े रहेंगे और कोई भी किसी भी समय उन्हें सेवा के लिए फोन कर सकता है।

भिखारी की मौत ने सोने नहीं दिया
प्रजापति बताते हैं कि सात साल पहले सिरोही शहर में सड़क किनारे एक भिखारी की मौत हो गई। नगर पालिका के ट्रैक्टर से शव को शमशान घाट ले जाकर जलाया गया। वह दृश्य देखकर प्रकाश प्रजापति को रातभर नींद नहीं आई। लिहाजा उन्होंने तय किया कि आज के बाद कोई शव लावारिस नहीं जलेगा। शव का सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।

(डिस्क्लेमर: फेसबुक के साथ इस संयुक्त मुहिम में समाचार सामग्री, संपादन और प्रकाशन पर पत्रिका समूह का नियंत्रण है)



Source: Sirohi News