लिक्वीडेटर राजेन्द्र दायमा ने डेढ़ साल में वसूली टीम पर खर्च कर दी 18 लाख रुपए से अधिक राशि और नतीजा शून्य

सिरोही से अमरसिंह राव

सिरोही. राज्य सरकार ने करीब डेढ़ साल पहले सहकारी समितियों के उप रजिस्ट्रार राजेन्द्र प्रसाद दायमा को सिरोही की आपेश्वर को.ऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटी और आग्रोसी को.ऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटी पर लिक्वीडेटर लगाया। फिर लिक्वीडेटर ने मैन पॉवर का उपयोग करते हुए वसूली के लिए एक कार और तीन कार्मिक लगा दिए। आलीशान होटल में दफ्तर भी खोल दिया। नई टीम ने दौड़.भाग कर डिफॉल्टरों से डेढ़ साल में महज 20 लाख से अधिक रुपए की वसूली की। बताते हैं कि बाद में करीब.करीब इतनी ही राशि तीन कार्मिकों के वेतन और सुविधाओं पर खर्च हो गई। नतीजा शून्य ही रहा। अब तक एक रुपया भी निवेशकों तक नहीं पहुंच पाया है।
जैसा कि इन दोनों सोसायटी के लिक्वीडेटर दावा करते हैं कि उन्होंने ही आग्रोसी के खिलाफ मामला दर्ज करवाया। कारण कि ये लोग वसूली में सहयोग नहीं कर रहे थे और इनका दिया गया लोन भी फर्जी है। बावजूद इसके हमने वसूली के प्रयास तेज किए और लगातार वसूली की। सवाल यह है कि दोनों सोसायटियों में स्टॉफ लगाने के बावजूद डेढ़ साल में 20 लाख रुपए ही वसूल कर पाए और यह राशि भी करीब.करीब वेतन.संसाधनों पर खर्च हो गई। इतनी धीमी वसूली के चलते क्या निवेशकों को उनका रुपया दिला पाएंगे?

क्लेम अधिकए वसूली मामूली

लिक्वीडेटर और इनके सहयोगी स्टॉफ लगने के बाद आग्रोसी क्रेडिट सोसायटी में 2 करोड़ 45 लाख रुपए के 601 क्लेम प्राप्त हुए और आपेश्वर क्रेडिट सोसायटी में 4 करोड़ 46 लाख रुपए के 506 क्लेम मिले जबकि वसूली दोनों ही सोसायटियों में 20 लाख के आसपास की ही हो पाई है।

और परिणाम शून्यण्
लिक्वीडेटर के दावों पर यकीन करें तो उन्होंने अब तक 20 लाख रुपए से अधिक की वसूली की है लेकिन इतने तामझाम और संसाधनों के बावजूद देखा जाए तो उपलब्धि के नाम पर कोई खास नहीं है। डेढ़ साल में दोनों ही सोसायटियों के निवेशकों को एक धेला तक नहीं मिला है जबकि अब तक कार्मिकों के वेतन और साधनों पर 18 लाख से अधिक राशि खर्च हो गई।

कहां कितना खर्च
दो सहायक अवसायकों पर 10 लाख 80 हजार रुपए
एक कम्प्यूटर ऑपरेटर पर 2 लाख 16 हजार रुपए
एक कार पर 5 लाख 40 हजार रुपए
आलीशान दफ्तर का किराया और अन्य खर्च इसमें शामिल नहीं है। आंकड़ा डेढ़ साल का।



Source: Sirohi News