सिरोही के इस स्कूल ने राष्ट्रीय स्तर पर फहराया परचम, देश के टॉप टेन में शामिल, फरवरी में बैंगलूरु में मिलेगा एक लाख का अर्थियन अवार्ड

भरत कुमार प्रजापत
सिरोही. जिले के डोडुआ राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय ने राष्ट्रीय स्तर पर सफलता का परचम फहराया है। उसका पर्यावरण जागरूकता संबंधी बेहतरीन प्रोजेक्ट तैयार करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अर्थियन अवार्ड 2019 के लिए चयन हुआ है। स्काउट गाइड, वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और विप्रो फाउण्डेशन की ओर से देश के टॉप टेन स्कूल व कॉलेजों में राजस्थान का एकमात्र विद्यालय चयनित हुआ है।
सीओ स्काउट नरेन्द्र खोरवाल ने बताया कि विद्यालयों में संचालित नेशनल ग्रीन कोर योजना के तहत पर्यावरण जागरूकता एवं टिकाऊ विकास के लिए राष्ट्रीय स्तर पर श्रेष्ठ कार्य करने वाले दस स्कूल एवं कॉलेजों को प्रतिवर्ष अर्थियन अवार्ड प्रदान किया जाता हैै। प्रधानाचार्य सोनू मिस्त्री के अनुसार 8 एवं 9 फरवरी को बैंगलूरु में आयोजित कार्यक्रम में विद्यालय के स्काउट मास्टर एवं अध्यापक सरूपाराम माली और 5 स्काउट की टीम को विप्रो के मुखिया अजीम प्रेमजी की ओर से अवार्ड दिया जाएगा।

ये हुई थीं गतिविधियां
स्काउट मास्टर सरूपाराम माली के मार्गदर्शन में विद्यार्थियों की ओर से विद्यालय परिसर एवं आसपास के जंगल में उपलब्ध जीवों की विभिन्न प्रजातियों की जानकारी, पत्तियों के उपयोगों का अध्ययन, कचरे से खाद बनने की प्रक्रिया का अध्ययन, किसानों, पशुपालकों, सब्जी बेचने वालों और गांव के बुजर्ग लोगों का साक्षात्कार कर दस्तावेजीकरण, वैश्विक पर्यावरण को लघु रूप में समझने के लिए टैरेरियम निर्माण कर जानकारी जुटाना, जैविक एवं अजैविक घटकों के आपसी संबंधों की जानकारी, सिरोही जिले के लुप्त एवं दुर्लभ जीवों, संकटग्रस्त फसलों की जानकारी, कक्षा एक से बाहरवीं तक के सम्पूर्ण पाठ्यक्रम का विश्लेषण कर जैव विविधता संबंधी अध्ययन की जानकारी, जीवों एवं वनस्पति की अन्तर निर्भरता, जंगली और आवारा जानवरों की समस्या की समझ, परम्परागत मान्यताओं से जुड़े तथ्य, कहावतों, मुहावरोंं, और रीति-रिवाजों का संकलन किया गया। मनुष्य के दैनिक क्रियाकलापों के ग्लोबल वार्मिंग पर दुष्प्रभावों को समझने के लिए केस स्टडी रिपोर्ट तैयार की गई जिसमें परम्परागत और आधुनिक भोज्य पदार्थों के उपभोग से पडऩे वाले प्रभावों का तुलनात्मक विश्लेषण, कृषि की आधुनिक एवं परम्परागत विधियों के प्रभाव, यातायात के साधनों के पर्यावरणीय प्रभावों का विश्लेषण और निष्कर्ष निकाला गया। स्काउट मास्टर सरूपाराम माली को 2014 में अजमेर में आयोजित नेशनल स्तर के कार्यक्रम में पर्यावरण मंत्रालय की ओर से नेशनल लेवल बेस्ट टीचर पर्यावरण मित्र पुरुस्कार दिया गया था।

राज्य स्तर पर भी प्रदर्शन
नेशनल ग्रीन कोर योजना के तहत 9 से 13 जनवरी तक जयपुर में होने वाले राज्य स्तरीय प्रकृति मेले में भी डोडुआ के चार स्काउट प्रोजेक्ट का प्रदर्शन करेंगे। विद्यालय के 6 स्काउट को राज्य पुरस्कार से भी नवाजा जाएगा।

शून्य निवेश पर आधारित है प्रोजेक्ट
व्यावहारिक ज्ञान और गतिविधि पर आधारित शिक्षण का पूरा प्रोजेक्ट तैयार करने के लिए किन्हीं विशेष भौतिक या आर्थिक संसाधनों की आवश्कता नहीं है। कोई भी निजी या सरकारी विद्यालय जल, जैव विविधता या कचरा प्रबंधन गतिविधियों पर आधारित प्रोजेक्ट तैयार कर सकता है। राजस्थान में 2012 से अब तक सात विद्यालयों की नौ टीमें इस अवार्ड के लिए चयनित हुईं, जिनमें सरूपाराम की ओर से तैयार चार टीमें शामिल हैं। इससे पहले सरूपाराम के सरतरा विद्यालय में रहते हुए 2013 में एक टीम और 2015 में दो टीमें राष्ट्रीय स्तर पर विजेता बनी थीं। टीम प्रभारी सरूपाराम और 5 स्काउट दिलीप, धु्रवराज, कमलेश, शक्तिसिंह और भरत कुमार कार्यक्रम में भाग लेने के लिए अहमदाबाद से बैंगलूरु की हवाई यात्रा करेंगे। वहां प्राजेक्ट प्रदर्शन के साथ ही विद्यालय को एक लाख का चेक, ट्राफी, प्रमाण पत्र और शैक्षिक नवाचार का सेंप मॉड्युल से नवाजा जाएगा।

इनका रहा सहयोग
प्रधानाचार्य ने इस उपलब्धि का श्रेय सरूपाराम माली, स्टाफ एवं विद्यार्थियों को दिया। इसमें जटिल वैज्ञानिक प्रक्रिया समझाने में विज्ञान शिक्षक नरेश सैन ने मदद की। जैव विविधता से जुड़ी पहेलियों, पौराणिक मान्यताओं, मुहावरों और कहावतों के संकलन में लीला जोशी और हिम्मत सिंह चारण का योगदान रहा। रिपोर्ट की सजावट और डिजाइन तैयार करने में मोहनलाल परमार और टीना मिस्त्री ने सहयोग किया। रिपोर्ट को बहुआयामी बनाने में हुनर सिंह देवड़ा, सुरेन्द्र सिंह, सुबोध सिन्हा, चंचलावती, रंजी स्मिथ, ओमप्रकाश, प्रताप सिंह, प्रीति सिन्दल, जयश्री खत्री और मीनाक्षी चौहान का योगदान रहा। विद्यालय व स्काउट गाइड परिवार को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी गई।



Source: Sirohi News