अयोध्या में श्री राम जन्म भूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण होने पर 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा होने जा रही है। करीब 500 साल बाद यह देखने का सौभाग्य मिल रहा है, इससे देशभर में खुशी है, लेकिन राम मंदिर आंदोलन में भाग लेने वाले कारसेवकों के लिए तो यह किसी सपने से कम नहीं है। ऐसा अवसर बहुत कम लोगों को मिल पाता है। यह कहना है श्री जन्म भूमि आंदोलन में भाग लेने वाले सिरोही जिले के आबू-पिण्डवाडा विधायक समाराम गरासिया का। विधायक समाराम गरासिया ने वर्ष 1990 में हुए राम जन्म भूमि आंदोलन में भाग लिया था। उस दौरान पिण्डवाड़ा से 32 कारसेवकों का दल अयोध्या के लिए रवाना हुआ था। जिसमें समाराम गरासिया भी शामिल थे।
तबादले के बहाने झूठ बोल राम मंदिर आंदोलन के लिए हो गए रवाना
विधायक समाराम ने राजस्थान पत्रिका संवाददाता को बताया कि वर्ष 1990 में जब रामजन्म भूमि आंदोलन अपने परवान पर था। उस समय वे युवा थे और यहां क्षेत्र की एक औद्योगिक इकाई में काम करते थे। वे भी इस आंदोलन में शामिल होना चाहते थे, लेकिन परिवारजन उनको आंदोलन के लिए जाने की अनुमति नहीं दे रहे थे। इसलिए 26 अक्टूबर 1990 को परिवार को झूठ बोल दिया कि वह जिस औद्योगिक इकाई में काम कर रहे हैं, उसकी एक और खदान शुरू हुई है। जिसमें कम्पनी की ओर से उनका तबादला वहां कर दिया है। तबादले के बहाने से तत्कालीन जिला वाहिनी प्रमुख बाबूलाल यति के नेतृत्व में समाराम गरासिया आंदोलन में शामिल होने के लिए यहां से रवाना हो गए। उनके साथ 32 लोगों का दल पिण्डवाडा से दिल्ली के रवाना हुआ था। यहां से वे दिल्ली पहुंचे।
यूपी में प्रवेश करते ही सभी को जेल में डाल दिया
विधायक समाराम गरासिया ने बताया कि भाजपा के वरिष्ठ नेता मदनलाल खुराना के नेतृत्व में राजस्थान, दिल्ली सहित विभिन्न प्रदेशों के अयोध्या आंदोलन से जुडे कार्यकर्ताओं ने दिल्ली-उत्तर प्रदेश बॉर्डर को पार कर यूपी की सीमा में प्रवेश किया। आंदोलन के चलते जगह-जगह पुलिस व प्रशासन की सख्ती थी। उनके पूरे दल में शामिल सैकडों कार्यकर्ताओं को सहारनपुर के पास देवबन्द में रोककर सभी को जेल में डाल दिया गया। इस दौरान वहां स्थानीय लोगों ने उनकी बहुत मदद की। करीब एक सप्ताह से अधिक समय बाद उन्हें दिल्ली बॉर्डर पर छोडा गया। जहां से वह वापस पिण्डवाडा आए।
औद्योगिक इकाई में मजदूरी के दौरान लिया था प्रण
विधायक गरासिया ने बताया की वह यहां औद्योगिक इकाई में मजदूरी का कार्य करते थे। वहां विश्व हिन्दू परिषद के अशोक सिंहल का आना जाना था, जिनसे वह बहुत प्रभावित थे और उन्हीं की प्रेरणा से उन्होंने रामजन्म भूमि आंदोलन से जुडने का प्रण किया। उन्होंने बताया की वह शुरू से ही आरएसएस की विचारधारा से जुडे हुए है। वर्ष 1980 में आरएसएस का प्राथमिक शिक्षा वर्ग किया और 1984 में प्रथम वर्ष किया, 1988 में भारतीय मजदूर संघ से जुडे।
चाचा के बेटे से बोले, अगर वापस नहीं आ पाया तो फोटो संभालकर रखना
समाराम गरासिया जब राम जन्म भूमि आंदोलन के लिए पिण्डवाडा से रवाना हुए, तब परिवार में सिर्फ उनके चाचा के लड़के को पता था। उन्होंने रवाना होने से पहले एक फोटो भी खिंचवाया और चाचा के बेटे को देकर कहा की अगर वह ना आ पाए तो यह फोटो संभाल कर रखना। अब राम मंदिर की भव्य प्राण-प्रतिष्ठा होने जा रही है, यह देखने का सौभाग्य मिल रहा है जो किसी सपने से कम नहीं है। विधायक ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के चलते ही देश के करोडों लोगों का सपना साकार हुआ है। जो कि खुशी की बात है।
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Source: Sirohi News