जिले में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रेवदर विधानसभा सीट भाजपा का गढ़ मानी जाती रही है। हालांकि इस सीट के अस्तित्व में आने के बाद अब तक 6 बार भाजपा तो 5 बार कांग्रेस जीत दर्ज कर चुकी है, लेकिन 2003 के बाद कांग्रेस को जीत नसीब नहीं हो सकी। इस बार भी भाजपा ने लगातार चार बार विधायक रहे चुके जगसीराम कोली को ही मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने रेवदर से प्रधान रह चुके व वर्तमान जिला परिषद सदस्य मोतीराम कोली पर दांव खेला है।
दोनों प्रत्याशियों के बीच इस बार मुकाबला रोचक माना जा रहा है। अब देखना यह है कि भाजपा अपनी सीट बचाने में कामयाब होगी या फिर कांग्रेस 20 साल बाद वापसी करेगी। इस बार चुनावी मैदान में भाजपा व कांग्रेस के अलावा भारत आदिवासी पार्टी से गणपतलाल मेघवाल, भीम ट्राइबल कांग्रेस से संगीता रल्हान, बहुजन समाज पार्टी से वीनाराम व एक निर्दलीय प्रत्याशी गोपाल दाना समेत कुल 6 प्रत्याशी मैदान में हैं। इनमें एक महिला प्रत्याशी भी शामिल है।
2 लाख 83 हजार 551 मतदाता करेंगे फैसला
जिले के सबसे अधिक आबादी वाले आबूरोड शहर व टीएसपी ब्लॉक आबूरोड समेत गुजरात से लगती जिले की सीमा को जोड़ने वाली रेवदर विधानसभा सीट पर गुजरात की राजनीति का असर भी देखने को मिलता है। इस बार के विधानसभा चुनाव में कुल 2 लाख 83 हजार 551 मतदाता विधायक का चयन करेंगे। इनमें 1 लाख 33 हजार 888 महिला मतदाता भी अहम भूमिका निभाएगी।
विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास
विधानसभा के इतिहास की बात करें तो 1967 में अलग रेवदर विधानसभा बनने के बाद भाजपा के जगसीराम कोली व कांग्रेस के छोगाराम बाकोलिया ही विधायक रहते हुए दुबारा जीत सकें। रेवदर विधानसभा के सबसे पहले चुनाव 1967 में स्वतंत्र पार्टी (एसडब्ल्यूए) के मोतीलाल पहली बार विधायक बने थे। इसके बाद लगातार चार बार कांग्रेस के प्रत्याशी विजयी रहे। इसमें 1972 में जेठमल आर्य, 1977 में माधो सिंह, 1980, 1985 व 1998 में छोगाराम बाकोलिया विजयी रहे थे। बाकोलिया 1981 में कांग्रेस सरकार में मंत्री बने थे। इसके बाद वें 1998 में यातायात मंत्री बने थे। 1990 में भाजपा के टिकमचंद कांत व 1993 में वर्तमान विधायक जगसीराम कोली के रिश्तेदार जयंतीलाल कोली विधायक बने थे। 1998 के बाद रेवदर विधानसभा सीट से कांग्रेस कभी जीत दर्ज नहीं कर सकी। 2003 से लगातार भाजपा के जगसीराम कोली इस सीट से विधायक है। इस विधानसभा क्षेत्र में कभी भी निर्दलीय प्रत्याशी विजयी नहीं हो सके हैं।
विधानसभा चुनावों में सबसे बड़े अंतर से जीत
2013 में भाजपा के जगसीराम कोली ने कांग्रेस के लखमाराम कोली के सामने 32 हजार 244 वोट से दर्ज की थी। वहीं सबसे कम जीत का अंतर 1990 में भाजपा के टिकमचंद कांत ने कांग्रेस के छोगाराम बाकोलिया को 1889 वोट से पराजित किया था।
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कृषि व चिकित्सा के लिए गुजरात का रूख
विधानसभा क्षेत्र आबूरोड व रेवदर ब्लॉक गुजरात से सटे होने के कारण चिकित्सा, कृषि समेत कई क्षेत्रों में गुजरात पर निर्भर है। वर्तमान में विधानसभा क्षेत्र में सीएचसी से उच्च श्रेणी का अस्पताल नहीं होने से मरीजों को पालनपुर की तरफ का रूख करना पड़ता है। वहीं कृषि मंडी नहीं होने के कारण अपनी फसल को बेचने के लिए गुजरात के ऊंझा मंडी जाना पड़ता है। रेवदर व आबूरोड में खेती अधिक होने से सौंफ, अरंडी, टमाटर समेत विभिन्न फसलें यहां से बिक्री के लिए गुजरात जाती है। क्षेत्र के प्रमुख मुद्दों में कृषि उपज मंडी खोलना, रेवदर में ट्रोमा सेंटर व आबूरोड में जिला अस्पताल, रेवदर व आबूरोड में महिला कॉलेज आदि प्रमुख मुद्दे हैं, जिन्हें देखकर जनता इस बार मताधिकार का प्रयोग करेगी।
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रेवदर विधानसभा
कुल मतदाता – 2 लाख 83 हजार 551
पुरुष मतदाता – 1 लाख 49 हजार 654कुल
महिला मतदाता – 1 लाख 33 हजार 888
थर्ड जेंडर – 9
Source: Sirohi News