भुवनेश पंड्या
सिरोही. Rajasthan Assembly Election 2023: पिंडवाड़ा-आबू विधानसभा क्षेत्र भले ही एक है, लेकिन दोनों नगर और इनकी समस्याएं अलग-अलग हैं। पिंडवाड़ा विकास से परे नजर आता है। न बेहतर सडक़-न पूरा पानी और न ही माकूल उपचार। पुरानी धर्मशाला में चल रहा पीजी कॉलेज खंडहर में तब्दील हो चुका है। उधर, राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थल और एक मात्र हिल स्टेशन माउंट आबू में 2009 से इको सेंसेटिव जोन लागू होने के बाद नए निर्माण और मरम्मत के लिए नगर पालिका की ओर से अनुमति न मिलने को लेकर स्थानीय लोग काफी परेशान हैं। रही बात जिले के रेवदर विधानसभा क्षेत्र की तो यहां के बाशिंदे अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए गुजरात की ओर देखते हैं।
पिंडवाड़ा में प्रवेश करते ही सबसे पहले पीजी कॉलेज पहुंचा, जो पुरानी धर्मशाला में चलता है। कॉलेज में ही मिले छात्र नकुल ओझा और निखिल गुस्साए से बोले, विधानसभा चुनावों से पहले भवन नहीं बना तो चुनाव का बहिष्कार करेंगे। इसके बाद बस स्टैंड पहुंचा तो देखा टूटी सडक़ों में बने गड्ढे पानी से लबालब हैं। बस स्टैंड में इंदिरा रसोई चल रही है। मौत का सबब बन चुके जनापुर फोरलेन हाईवे का रुख किया तो पता चला कि आए दिन यहां एक मोड़ पर होते हादसे बड़ी संख्या में लोगों की जान ले चुके हैं, लेकिन प्रशासन सो रहा है। अस्पताल में आठ पदों में से चार चिकित्सक पद खाली हैं। लोग उपचार के लिए गुजरात जाने को मजबूर हैं। पालिका के सामने निवासरत पूर्व शिक्षक नरेंद्रकुमार रावल विकास के मुद्दे पर नाखुश नजर आए।
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इसके बाद गुजरात से सटे रेवदर पहुंचा तो देखा कि यहां सीएचसी है, जहां डॉक्टरों के सात पद स्वीकृत हैं, लेकिन मौके पर दो चिकित्सक की कार्यरत हैं। स्थानीय लोगों को सरकारी योजनाओं की पूरी जानकारी नहीं है। ब्लड बैंक व ट्रॉमा सेंटर खोलने की लगातार मांग की जा रही है। मजबूर लोग उपचार के लिए सिरोही और गुजरात भागते हैं। पिछले 15 वर्ष से बंद बस डिपो को खुलवाने के लिए कई बार आंदोलन किए गए, लेकिन हल नहीं निकला। राजकीय पैवेलियन के पास स्थित दुकान के मालिक नीलेश दवे का कहना था कि सात-सात दिन तक पानी नहीं आता। रेवदर करोटी मार्ग के कॉम्प्लेक्स में बैठे अर्जुन बोले, यहां आए दिन हादसे होते हैं। ट्रोमा सेंटर की जरूरत है।
आबू रोड होते हुए आखिर मैं माउंट आबू पहुंचा। माउंट आबू, नाम आते ही चेहरा खिल गया, लेकिन यहां पार्किं ग के हाल देखकर पसीने आ गए। किसी तरह सीधे नक्की झील जा पहुंचा, झील किनारे दुकान लगाने वालों का कहना था कि जब भी कोई वीवीआईपी आता है, तो प्रशासन सभी दुकानें हटवा देता है, इससे काफी परेशानी होती है। सालाना करीब 22 लाख पर्यटक पहुंचने वाले आबू में 15 हजार मतदाता व 25 हजार की आबादी है। वर्ष 2009 के बाद इको सेंसेटिव जोन बना तो लोगों के घर-दुकानों में निर्माण कार्यों पर ताला लग गया। मुख्यमंत्री आवास व केंद्र की स्वच्छ भारत योजना भी लागू नहीं है। पर्यटकों के लिए पार्किंग सहित शौचालय, पेयजल जैसी मूलभूत जरूरतें पूरी नहीं हो रही हैं। बस स्टैंड मार्ग पर व्यापारी सदनसिंह से मिला तो तपाक से बोले, साहब पार्किंग समस्या से निजात दिला दो, मेहरबानी होगी। मास्टर प्लान की जरूरत है। ढुंडई क्षेत्र के व्यापारी कैलाश अग्रवाल भी निर्माण स्वीकृति नहीं मिलने से बेहद नाराज दिखे।
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Source: Sirohi News