विदेशी धार्मिक यात्राओं का क्रेज भी कम नहीं, अपनी आस्था के लिए जाते हैं विदेश

तिब्बत में कैलाश मानसरोवर का पावन तीर्थस्थल भारत के हिंदू, जैन और बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए महत्वपूर्ण है। यहां जाने के लिए चीन सरकार हर साल समूह में धार्मिक वीजा देती है हालांकि कोविड काल से यह यात्रा बंद है।

नेपाल में पशुपतिनाथ (शिव मंदिर) ज्योतिर्लिंग है और यह एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो भारत से बाहर है। काठमांडू में बागमती नदी के किनारे स्थित पशुपतिनाथ जी के दर्शन के लिए हिंदू श्रद्धालु धार्मिक यात्राएं करते हैं। नेपाल में ही लुम्बिनी (गौतम बुद्ध की जन्मस्थली) भी बेहद महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है जो बौद्ध धर्म के अनुयायियों की आस्था का प्रमुख बिंदु है। भूटान भी ऐसा ही है।

इंडोनेशिया के जावा प्रांत में दुनिया का सबसे बड़ा बौद्ध विहार (बोरोबुदूर) हो या म्यांमार में बागान, थाईलैंड, कंबोडिया, श्रीलंका जैसे अनेक देश, इन सभी जगहों का नाता धार्मिक पर्यटन से भी है।

पाकिस्तान में सिख समुदाय के लिए करतारपुर कॉरिडोर भी खोला गया है। सिखों के सबसे पवित्र धर्मस्थल ननकाना साहिब सिखों का सबसे पवित्र स्थल है। इसी तरह, शादाणी दरबार मंदिर जाने वाले हिंदू यात्रियों को भी पाकिस्तान सरकार वीजा जारी करती है। हर साल हजारों हिंदू और सिख धार्मिक उत्सवों, आयोजनों में भाग लेने के लिए पाकिस्तान जाते हैं।

सऊदी अरब में ऐज ऑफ द वल्र्ड, लैंड ऑफ द फ्यूचर आदि प्रसिद्ध स्थानों के साथ वहां का धार्मिक महत्त्व भी है। यहां हर वर्ष हजारों लोग हज और उमराह करने जाते हैं।

इजराइल का यरुशलम शहर काफी दिलचस्प है। यहां तीनों अब्राहमिक धर्मों के आस्थावान तीर्थ करने पहुंचते हैं। यहूदी, ईसाई और इस्लाम को मानने वालों के लिए यह पवित्र शहर है। मुसलमान जहां अल-अक्सा मस्जिद में इबादत करते हैं वहीं नजदीकी पश्चिमी दीवार (वेलिंग वॉल) यहूदियों का पवित्र धर्मस्थल है। ईसाई यरुशलम से बैथलेहम, नैजरथ से सी ऑफ गलीली जैसे अनेक पवित्र स्थलों की यात्रा करते हैं।



Source: Travel News