शिवगंज. कस्बे से करीब बारह किलोमीटर दूर स्थित गोड़ाना गांव में बुधवार को लोक संस्कृति का एक महत्वपूर्ण केन्द्र नजर आया। मौका था गांव में साढ़े तीन दशक बाद सदियों पुरानी तालाब पूजन का, जिसे स्थानीय बोलचाल की भाषा में समंदर हिलोरना कहते है। सभी समाजों के लोग परम्परागत परिधानों में सजे-धजे नजर आ रहे थे। महिलाओं व युवतियों के चेहरों पर असीम उत्साह दिखाई दे रहा था। हर कोई तालाब पर पहुंचने को लेकर उतावला नजर आ रहा था।गोडाना के लोगों ने बताया कि करीब 35 साल पहले गांव में समंदर हिलोरने का कार्यक्रम हुआ था। उसके बाद यह अब हो रहा है। इसे लेकर 36 कौम के लोगों में असीम उत्साह दिखाई दिया।
उत्साह इतना की रातभर कोई सोया नहीं
तालाब पूजन के लिए सुबह करीब साढ़े छह बजे का समय निर्धारित था। उत्साह का आलम यह था कि रात भर गांव में कोई सोया नहीं। पूरी रात अलग-अलग जगहों पर भजन-कीर्तन होता रहा। गांव के लगभग प्रत्येक परिवार में पूजन करने वाली महिलाओं ने अपने भाइयों सहित रिश्तेदारों को आमंत्रित किया था।
ढोल-ढमाकों के साथ तालाब पर पहुंचे
सुबह निर्धारित समय पर गांव के ठा. जोधसिंह देवड़ा परिवार के सदस्यों ने ढोल-ढमाकों के बीच रावले से तालाब पहुंचकर पूजन की रस्म निभाई। फिर सभी समाज के लोग अपने अपने निर्धारित स्थानों पर तालाब पूजन की रस्म निभाते देखे गए। गांव में ब्याही गई बहनों के भाइयों ने अपनी बहनों को चुनरी ओढ़ाकर उसके साथ मटकी से तालाब को हिलोरने की रस्म अदा की। भाइयों ने बहनों को उपहार स्वरूप वस्त्र व अन्य भेंट सौगातें दी। इससे पूर्व तालाब पूजन करने वाली महिलाओं ने मंगलवार की शाम गांव की परिक्रमा की। विधायक संयम लोढ़ा ने गोडाना पहुंचकर तालाब पूजन की शुभकामनाएं दी। इस मौके पर ध्रुबाणा सरपंच प्रतिनिधि नरपतसिंह, वेरा जेतपुरा सरपंच करणसिंह देवड़ा, ध्रुबाणा उप सरपंच डूंगाराम देवासी, वार्ड पंच भीमाराम, अजबाराम, लालाराम, लाकाराम, गणेशभाई, जवानजी, भानाराम, जेठूसिंह सहित गांव के कई प्रबुद्धजन उपस्थित रहे।
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Source: Sirohi News