सिरोही. किसी शायर ने ठीक ही कहा है कि ‘थक हार के ना रुकना ऐ मंजिल के मुसाफिर, मंजिल भी मिलेगी और मिलने का मजा भी आएगा।’ जी हां, कुछ ऐसा ही कर दिखाया है आदिवासी बहुल पिण्डवाड़ा ब्लॉक की बसंतगढ़ पंचायत के रायदरा डामर फली में के स्कूल में कार्यरत 5 शिक्षकों ने। उन्होंने ठान लिया कि बच्चों को पढ़ा-लिखाकर नवाब बनाने में परिस्थितियां बाधक नहीं बनने देंगे और उन्होंने ठानने के मुताबिक करके भी दिखा दिया। इन शिक्षकों ने मन से किए प्रयासों को क्षेत्र में खूब दाद दी जा रही है।
दरअसल हुआ यह कि पिण्डवाड़ा के पास स्थिति बसंतगढ़ से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर पहाड़ियों से सटे बुनियादी सुविधाओं से वंचित रायदरा डामर फली गांव के राजकीय प्राथमिक विद्यालय में आदिवासी गरासिया जाति के ही बच्चे पढ़ाई करते हैं। यहां शिक्षा के अभाव के कारण बहुत कम विद्यार्थी स्कूल आते थे। तब सभी शिक्षकों ने घर-घर दस्तक देकर बच्चों और अभिभावकों को प्रेरित किया। जिसके सुखद नतीजे मिले और 128 बच्चों का स्कूल में नामांकन भी हो गया। बावजूद इसके बच्चे विद्यालय जाने में ज्यादा रुचि नहीं दिखा रहे थे। जिस पर विद्यालय के प्रधानाध्यापक शनिराम गरासिया और उनके साथी शिक्षक कैलाश यादव, कैलाश माली, प्रकाश तेली व रमेश गरासिया ने कुछ नवाचार करने की ठानी। जिसके तहत विद्यालय के अहाते की जिस दीवार पर सामान्य रंग-रोगन किया हुआ था, उस दीवार को एक रेलगाड़ी की शक्ल में पेंट करवा दिया। ऐसा लगने लगा मानों वह विद्यालय भवन नहीं होकर एक रेलगाड़ी खड़ी है। बस फिर वही हुआ, जिसकी शिक्षकों को उम्मीद थी।
बच्चे विद्यालय जाने की जिद करने लगे। यही नहीं, आसपास के विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे भी इस विद्यालय में पढ़ने की इच्छा जताने लगे। अभी वर्तमान में लगभग सभी बच्चे नियमित रूप से रोजाना स्कूल आते हैं। शिक्षा के प्रति खासे जागरूक हुए हैं। विद्यालय भवन को ट्रेन की शक्ल के रूप में बहुत आकर्षक बनाया गया है। जिसे विद्यार्थी और अभिभावक खासे आकर्षित हो रहे हैं। दूर से रेलगाड़ी का आभास कराने वाला ऐसा स्कूल भवन पूरे पिण्डवाड़ा ब्लॉक में और कहीं देखने को नहीं मिलेगा।
20 हजार में आधा खर्च शिक्षकों ने किया वहन
विद्यालय की दीवार पर रेलगाड़ी उकेरने पर लगभग 20 हजार रुपए खर्च हुए। जिसमें से आधी राशि विद्यालय कंपोजिट ग्रांट राशि में से व्यय की गई, जबकि आधी राशि अध्यापकों ने वहन की।
मार्ग के अभाव में नाले से होकर जाते हैं विद्यालय
स्कूल भवन को रेलगाड़ी का रूप देने के बाद बच्चों में विद्यालय जाने के प्रति उत्साह बढ़ा। नामांकन भी बढ़ा। पहले मारकुंडेश्वर फली के बच्चे अजारी पंचायत के सारण फली व बिलावत फली के स्कूल में जाते थे, अब उनमें से कुछ बच्चे इस विद्यालय में आने लगे हैं। …और यह सब कुछ संभव हो पाया है शिक्षकों के कारगर प्रयासों से।
लगता है मानों ट्रेन में बैठे हो …
वनवासी क्षेत्र में रहने वाले ज्यादातर इन बच्चों ने कभी वास्तविक रेलगाड़ी में सफर नहीं किया है। इन बच्चों को ऐसी खुशी देखकर शिक्षकों को भी सुकून मिल रहा है।
Source: Sirohi News