सिरोही. खाकी को लेकर आम जन के जेहन में कठोरता ज्यादा महसूस होती है लेकिन सच यह है कि वह भी समाज का हिस्सा और भावुक इंसान होते हैं। सिरोही के पालड़ी एक थाने की खाकी ने कुछ ऐसी ही मिसाल पेश करते हुए अनूठा काम किया है जो संभवत: जिले में पहली बार नजर आया है। उन्होंने थाने में संविदाकर्मी लांगरी (कुक) की बेटियों के विवाह में मदद का जिम्मा ही नहीं उठाया अपितु परिवार की तरह मायरा लेकर पहुंचे। पुलिसकर्मियों का यह रूप देखकर लांगरी कृतज्ञ है।
थाना पालड़ी एम में लांगरी गोल के मंछाराम कुमावत की दो बेटियों की शादी सोमवार को हुई। मामूली मानदेय के कारण उसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। लांगरी की पत्नी विकलांग है। मंछाराम जैसे-तैसे बेटियों की शादी कर रहा था। यह बात जब थाना प्रभारी सुजाराम बिश्नोई को पता लगी तो उन्होंने मदद की ठानी। उन्होंने व थाने के स्टाफ ने न केवल इस जिम्मेदारी को तहेदिल से उठाया बल्कि एक रिश्तेदार की तरह सभी वर्दी में मायरा लेकर पहुंचे। हर ग्रामीण खाकी के इस मानवीय रूप को देखकर तारीफ करता दिखा। गोल में थाना प्रभारी व स्टाफ का ढोल-ढमाकों के साथ स्वागत किया गया।
जोधपुर में कर चुके हैं ऐसा काम
थाना प्रभारी सुजाराम बिश्नोई ने स्टाफ को बच्चियों की शादी पर मायरा भरने के लिए प्रोत्साहित किया। एक लाख एक हजार रुपए एकत्र कर सोमवार को गोल में दो सोने की अंगूठी, परिवार के लिए कपड़े व 41 हजार रुपए की नकदी मायरे में दी। थाना प्रभारी ने बताया कि जोधपुर में नियुक्ति के दौरान दो-तीन बार मायरे भरे थे। लांगरी हमें खाना बनाकर खिलाते हंै। सफाई करते हैं। पानी भी भरते हैं। उसके घर में कोई कमाने वाला नहीं था। गरीब परिवार से होने पर सभी ने सोचा कि हमारी तरफ से मदद मिल जाए तो इन बच्चियों की शादी ठीक से हो जाए। इस कार्य में थाने में कार्यरत सभी स्टॉफ का अच्छा सहयोग रहा। सिरोही में इस तरह का मायरा पहली बार भरा है। इससे पहले लांगरी के बच्चे बीमार होने पर स्टाफ की ओर से तीस हजार रुपए देकर इलाज करवाया था। परिवार में तीन बच्ची और एक बालक है। लांगरी को प्रति महीने नौ हजार रुपए मिलते हंै।
Source: Sirohi News