मंडी में नहीं खरीदार, ठप हुआ सब्जी का व्यापार, मंडार के उत्पादकों पर कोरोना की मार

मंडार. क्षेत्र में सब्जी उत्पादकों पर कोरोना के कारण लॉक डाउन की प्रभाव पड़ा है। सस्ती व ताजा सब्जी होने के बावजूद लोग डर के कारण कम खरीद रहे हैं। मंडी में अक्सर सन्नाटा पसरा रहता है।
सोनेला, मालीपुरा, मंडार, रोहुआ, पीथापुरा समेत कई गांवों में हरी सब्जियां परम्परागत रूप से बड़ी मात्रा में होती हैं। ताजा सब्जियों की मांग रहती है। शादी वाले दो महीने पहले ही सब्जियां बुुक करवा देते थे। गांवों से सारी सब्जी मंडार की मंडियों में आती थी लेकिन कोरोना वायरस को लेकर लॉक डॉउन से शादियों पर पाबंदी लगी है। इससे सब्जी उत्पादकों के साथ किराणा, सोने-चांदी, कपड़ा, टेंट, हलवाई व पंडितों के लिए भी परेशानी बढ़ी है।
वैसे मंडार में डीसा से सब्जियों की बड़ी मात्रा में आवक होती थी। अब वाहनों के आने-जाने पर रोक लगा दी है। गुजरात से सब्जियां नहीं आने के बाद भी कोई असर नहीं पड़ा है। इसका मूल कारण है स्थानीय स्तर पर सब्जियों का उत्पादन होना। वैसे सोनेला व मालीपुरा के उत्पादकों की महिलाएं बांस की टोकरियों में सब्जी मंडार बेचने आती थीं। सब्जियां ताजा व गुणवत्तायुक्त होने से खरीदारों की भीड़ लग जाती थी लेकिन कोरोना की आशंका में लोग हरी सब्जी की बजाय आलू, प्याज, मूंग, खेपला आदि बनाकर खा रहे है। इन दिनों बिकवाली कम होने तथा बाहर सब्जी नहीं जाने से मंडियों में टमाटर 4-5, हरी मिर्च 25, संदेवला 15, दूधी 10, बैंगन 10, ककड़ी 7-8 , तुरई 20, कालिंगा 8 , तरबूज 7-8 , खरबूजा 10-11, ग्वार फली 30, आलू 18 व प्याज 15 रुपए प्रति किलो होने के बावजूद सन्नाटा रहता है।
मंडी संचालक रावताराम ने बताया कि कोरोना की वजह से अब गुजरात से सब्जियों की आवक रोक दी है। इन दिनों बिकवाली भी कम है। स्थानीय स्तर पर सब्जियां तो आती हैं पर अब खरीदार कम हैं। ऐसे में एक-दो दिन पड़ी रहने से सब्जी खराब हो जाती है।



Source: Sirohi News