आबूरोड. रीको औद्योगिक क्षेत्र स्थित एक इकाई में शुक्रवार सुबह करीब सत्रह-अठारह टन वजनी ग्रेनाइट ब्लॉक के नीचे दबकर एक श्रमिक की मौत हो गई। हादसे से आक्रोशित देवासी समाज के लोगों ने इकाई में पहुंचकर रोष जताया। समाज के लोगों ने परिवार को आर्थिक मदद देने की मांग पर अड़ गए। इकाई संचालक व समाज के लोगों के बीच हुई वार्ता के असफल रहने पर आक्रोशित समाज के लोगों ने आबूरोड-पालनपुर फोरलेन पर पहुंचकर हाइवे जाम करने का प्रयास किया, लेकिन मौके पर पहुंचे पुलिस उप अधीक्षक प्रवीणकुमार सैन व अन्य पुलिसकर्मियों ने समझाइश कर लोगों को फोरलेन से हटवाया। मामले की गम्भीरता को देखते हुए डीएसपी ने अतिरिक्त जाप्ता मंगवाया। इसके बाद समाज के लोगों व इकाई संचालकों के बीच हुई वार्ता के बाद परिवार को आर्थिक मदद व सहायता देने की बात पर मामला शांत हुआ। करीब साढ़े चार घंटे बाद परिजन शव लेने को तैयार हुए।
पुलिस के अनुसार सांतपुर निवासी मृतक के रिश्तेदार रूपाराम देवासी ने रिपोर्ट देकर बताया कि सांतपुर रेबारी वास निवासी खंगाराम पुत्र खेताराम देवासी अम्बिका ग्रेनाइट में कार्य करता था। शुक्रवार सुबह इकाई पर कार्य कर रहा था। तभी ग्रेनाइट ब्लॉक में लगे रस्से के टूटने से ब्लॉक के नीचे दबने से उसकी मौके पर ही मौत हो गई। सूचना पर इकाई मालिक राधेश्याम अग्रवाल भी मौके पर पहुंचे व रीको पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंचे हैड कांस्टेबल कांतिलाल ने मौका मुआयना कर क्रेन बुलवाकर शव को निकलवाने का प्रयास शुरू किया। सूचना मिलने पर आबू मार्बल एसोसिएशन के अध्यक्ष कमलेश गर्ग, भगवान अग्रवाल समेत कई उद्यमी पहुंचे। इसके बाद मौके पर दर्जनों देवासी समाज के लोग मौके पर पहुंचे। रिश्तेदारों व समाज के लोगों ने परिवार को आर्थिक मदद मिलने तक शव निकालने से इनकार कर दिया। जिसके बाद समाज के लोगों व इकाई संचालकों के बीच वार्ता हुई। जिसके बाद समाज के आक्रोशित लोग घटना स्थल पर पहुंच गए व मार्बल ब्लॉक के आसपास ही नाराजगी जताने लगे। मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने समझाइश का प्रयास किया। इस दौरान समाज के लोगों ने फोरलेन जाम करने की चेतावनी देते हुए फोरलेन की तरफ बढऩे लगे। देखते ही देखते डेढ़ सौ-दो सौ लोग फोरलेन पर एकत्रित हो गए। मामले की गम्भीरता को देखते हुए पुलिस उप अधीक्षक ने अतिरिक्त जाप्ता मंगवाते हुए समझाइश कर लोगों को फोरलेन से हटवाया। इसके बाद पुन: समाज के लोगों व इकाई संचालक के बीच वार्ता का दौर चला। जिसके बाद संचालकों की ओर से परिवार को आर्थिक मदद करने का आश्वासन देने पर समाज के लोग शांत हुए व शव उठाने को तैयार हुए।
Source: Sirohi News