महेश परबत
सिरोही. आचार्य चाणक्य ने कहा था कि शिक्षक कभी साधारण नहीं होता, प्रलय और निर्माण उसकी गोद में खेलते हैं। समाज के निर्माण में शिक्षक की अहम भूमिका होती है। शिक्षक ही है जो किसी व्यक्ति को अच्छा नागरिक बनाने के साथ सर्वोत्तम विकास भी करते हंै। आज शिक्षक दिवस है। इसकी पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी गणपतसिंह देवड़ा ने राजस्थान पत्रिका से बातचीत में अपने कार्यकाल के अनुभव बताए। उन्होंने चाणक्य की इसी नीति पर चलते हुए शिष्यों में संस्कारों का समावेश कर आदर्श नागरिक बनाने में महती भमिका का निर्वहन किया और उनका यह कार्य सेवानिवृत्ति के पांच साल बाद भी जारी है। देवड़ा बताते हैं कि नवीन भवन विद्यालय में उनके पढ़ाए बच्चे आज अनेक बड़े पदों पर हैं। इनमें कई सेना में देश सेवा कर रहे हैं। पुलिस महकमे, इंजीनियर समेत कई पदों पर आसीन हैं। पूर्व में ये शिष्य जब भी यहां आते थे तो स्कूल में बुलाकर बच्चों को मोटिवेशन स्पीच दिलवाते थे।
यहां दी सेवाएं
देवड़ा ने १९७७ में शिक्षा क्षेत्र में कदम रखा। पहले राजकीय माध्यमिक विद्यालय सायला, भारजा, सिरोही, कैलाशनगर, पालड़ी एम, भीनमाल, पोसालिया तथा नवीन भवन विद्यालय सिरोही में सेवा दीं। वे २०१४ में जिला शिक्षा अधिकारी विधि जोधपुर पद से सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने बताया कि जोधपुर में रहते हुए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के भी कई प्रकरणों का निस्तारण किया।पदस्थापन के दौरान अधिवक्ताओं की हड़ताल के कारण जिम्मेदारी बढ़ गई थी। उसके बाद भी कई प्रकरणों का निस्तारण किया था। उसकी बदौलत सिरोही में स्थाई लोक अदालत के सदस्य बनकर कई प्रकरणों का निस्तारण करवाया।
जिला कार्यक्रम में बुलाया जाता है…
देवड़ा ने बताया कि राष्ट्रपति अवार्ड मिलने के बाद सरकार ने ख्याल रखा है। उन्हें जिला मुख्यालय पर कार्यक्रमों में बुलाया जाता है। सरकार की ओर से रोडवेज में रियायत मिलती है। हालांकि अन्य राज्यों से सुविधाएं कम हंै।
अब योग को समर्पित
काफी समय से शिक्षा क्षेत्र से जुड़े रहने के कारण अब स्कूल में बच्चों की नींव मजबूत करने का इरादा है। उन्होंने बताया कि बालिका विद्यालय तथा महात्मा गांधी अंग्रेजी विद्यालय की समिति का सदस्य हूं। ऐसे में आए दिन स्कूलों में जाता हूं और बच्चों को पढ़ाई के तरीके के बारे में जानकारी देता हूं। बच्चों को नियमित योग भी सिखाता हूं। कई बार बच्चों को पढ़ाता भी हूं।
जहां पढ़े वहीं बने संस्था प्रधान
देवड़ा बताते हैं कि नवीन भवन विद्यालय से शिक्षा प्राप्त की थी और इसी विद्यालय में वे संस्था प्रधान भी रहे। उन्होंने बताया कि शिक्षक बनने की प्रेरणा पिता चैनसिंह देवड़ा से मिली जो सेंट्रल जेल सुपरिटेंडेंट थे। शिक्षा क्षेत्र में बेहतर कार्य के लिए जिला स्तर, राज्य स्तर तथा नेशनल स्तर से सम्मान मिले हैं। पौधरोपण, अल्प बचत, पोलियो समेत विविध राष्ट्रीय सरोकार के लिए २००५ में राज्यपाल प्रतिभा पाटिल ने सम्मानित किया। इसके बाद २००६ में बेहतर कार्य के लिए राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम ने सम्मान किया था। इसके अलावा जिला मुख्यालय पर कई बार सम्मान मिला। उनका कहना है कि शिक्षक को समर्पित भाव से कत्र्तव्य निर्वहन करना चाहिए। बच्चों को इतना स्नेह देना चाहिए ताकि सामान्य समस्या बता सके। बच्चों को कालांश के अलावा अतिरिक्त समय में भी गाइडलाइन देनी चाहिए।
Source: Sirohi News